लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने माना है कि राज्य में 69 हजार शिक्षक भर्ती के मामले से जुड़े 31,661 सहायक शिक्षक के चयन में उससे गलतियां हुई हैं। यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में माना है कि काउंसलिंग की लिस्ट तैयार करने में उनसे गड़बड़ी हुई है। सरकार ने कहा है कि एनआईसी और बेसिक शिक्षा परिषद से इस भूल की जांच के लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है।
सरकार ने यह भी माना है कि कम मेरिट वाले लोगों को नियुक्ति मिल गई है, जबकि अधिक मेरिट वालों को नियुक्ति नहीं मिल सकी है। सरकार ने कहा कि शिक्षक भर्ती में जो भी गलतियां हुई हैं, उनको शीघ्र सुधारा जाएगा और प्रदेश सरकार गलत चयन को रद्द करेगी।
गौरतलब है कि सहायक अध्यापक के चयन में हुई गलती के मामले में महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हाईकोर्ट में इन गलतियों के बारे में अपनी बात कही। उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट से कहा कि इस चयन प्रक्रिया में कम अंक पाने वालों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया तो वहीं जिनको अधिक अंक मिले हैं वो चयन से बाहर हैं, जो कि गलत है। नियुक्ति में अधिक अंक पाने वालों को वरीयता दी जाएगी, न कि कम अंक पाने वालों को। कम अंक वालों को दिया गया नियुक्तिपत्र वापस लिया जायेगा और अधिक अंक वालों की काउंसिलिंग के बाद नियुक्ति कराई जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि एनआईसी और बेसिक शिक्षा परिषद से गलती हुई है। इस भूल की जांच के लिए सरकार ने कमेटी गठित कर दी है। शिक्षक भर्ती में जो भी गलतियां हुई हैं उनको सुधारा जाएगा। महाधिवक्ता के बयान के बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 17 नवंबर तय की है।