नई दिल्लीः भीमा कोरेगांव केस में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में नक्सलियों के समर्थन को लेकर गिरफ्तार किए गए 5 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अगले 4 हफ्तों तक अपने घरों में और नजरबंद रखने को कहा है।
बता दें कि इन सभी कार्यकर्ताओं को 28 अगस्त को अलग-अलग जगहों से एसआईटी ने गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने के साथ ही उस मांग को भी खारिज कर दिया है, जिसमें इस मामले की जांच एसआईटी से कराने के लिये कहा गया था।
31 दिसंबर को महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में 'एल्गार परिषद' के सम्मेलन के बाद हिंसा भड़की थी। इसके बाद इस संबंध में महाराष्ट्र पुलिस ने 28 अगस्त को इस हिंसा का सर्मथन करने वाले 5 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था।
पुलिस का कहना था ये सभी कार्यकर्ता नक्सलियों की मदद कर रहे थे और पुलिस के पास इस संबंध में पुख्ता सबूत थे। सुप्रीम कोर्ट ने तब 29 अगस्त को पांचों कार्यकर्ताओं को अपने-अपने घरों में कुछ दिनों के लिए नजरबंद करने के आदेश दिए थे।
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सुप्रीम कोर्ट ने अब एक बार फिर से इन सभी पांचों कार्यकर्ताओं को जिनमें वरवरा राव, अरुण फरेरा, वरनॉन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा शामिल है सभी को अगले चार हफ्तों तक फिर से नजरबंद करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ असहमति की वजह से इनकी गिरफ्तारी नहीं की जा सकती।