31 अक्टूबर की डेडलाइन पूरी होने के बाद अब 30 नंवबर के बाद मिलेगे स्कूली बच्चों को स्वेटर
यूपी के सभी 75 जिलों में 31 अक्टूबर तक स्कूलों में स्वेटर बांटे जाने थे।मगर जब डेडलाइन बीत गई।तब 30 नवंबर की दूसरी डेडलाइन तय की गई है।यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बार-बार चेतावनी देने के बाद भी बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाहियां बंद होने का नाम नही ले रही हैं।सामने आया मामला भी इसी का उदाहरण है।
लखनऊ: बेसिक शिक्षा विभाग ने सर्दियों के पहले बैठक कर तय किया था की 31 अक्टूबर तक स्वेटर खरीद की प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी।जिससे प्रदेश के सभी प्राथमिक और परिषदीय स्कूलों में 1 नंवबर से स्वेटर बांटने का काम शुरू हो सके। मगर जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण ये योजना परवान न चढ सकी।
वंही इस मामले में बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अफसर कैमरे पर बोलने से बच रहे हैं। ताकि वे सीएम की नजर से बचे रहें।
मामले मे काफी किरकिरी होने के बाद यूपी सरकार के प्रवक्ता ने बताया की प्रदेश के 51 जिलों मे स्वेटर की आपूर्ति शुरू हो चुकी है। मगर अभी 24 जिलों में अभी देर लगेगी।
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आपकों बता दें की जैम पोर्टल के माध्यम से स्वेटर खरीद के लिए आवेदन मांगे गए थे और एक स्वेटर का अधिकतम मूल्य 200 रुपये बेसिक शिक्षा विभाग ने तय किया था।वंही इस मामलें मे अंतिम फैसला जिलों के डीएम की अध्यक्षता मे बनी कमेटी को लेना था।जिसमें बीएसए सचिव थे। इस पूरी प्रक्रिया में आवेदकों की ये शिकायत रही की अलग-अलग जिलों में अलग-अलग शर्ते रखी गई।मसलन कई जिलों में एमएसएमई आधार अनिवार्य किया गया।जबकि कई जगह इसे कोई तवज्जों नही दी गई। वंही इस मामलें में बेसिक शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अफसर इसे जिलों के डीएम का विषय बताकर अपना जिम्मा बचाते रहें।
गौरतलब है बेसिक शिक्षा विभाग में डीजी बेसिक शिक्षा का पद पहली बार बनाया गया और सीनियर आईएएस विजय किरण आनंद को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
खास बात यह है की जिन 24 जिलों में अब तक स्वेटर नही बंट पाये हैं। उनमे राजधानी लखनऊ भी शामिल हैं। यंहा के भी 1 करोड़ 87 लाख सरकारी स्कूलों मे पढने वाले बच्चों को अभी भी स्वेटर सरकार नही दिला पाई है।
साथ ही कई फर्मे ऐसी भी रही।जिन्होंने काम का टेंडर हासिल करने के बाद स्वेटर आपूर्ति से अपने हाथ खड़े कर दिए। नाम न छापने की शर्त पर विभागीय सूत्रों का कहना है की इसका कारण भी टेंडर की कई शर्ते हैं।जिसमे स्वेटर आपूर्तिकर्ता का स्वेटर निर्माता होना जरूरी नही था।यही वजह रही की कई बिचौलिए का काम करने वाली फर्मो ने भी इसमे भाग लिया और मौका देखकर भाग निकली।
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अब देश के भविष्य नौनिहालों को ठिठुरते हुए स्कूल जाने पर मजबूर करने वाले गुनहगारों की सीएम कब खबर लेते हैं।इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।