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यूएपीए मामलों में दोष सिद्धि को लेकर जानिये क्या बोली सरकार

सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि गैर-कानूनी गतिविधियां निवारण कानून (यूएपीए) के तहत केंद्र द्वारा हाथ में लिए गए मामलों में दोषसिद्धि की दर 100 प्रतिशत तक रही है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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यूएपीए मामलों में दोष सिद्धि को लेकर जानिये क्या बोली सरकार

नयी दिल्ली: सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि गैर-कानूनी गतिविधियां निवारण कानून (यूएपीए) के तहत केंद्र द्वारा हाथ में लिए गए मामलों में दोष सिद्धि की दर 100 प्रतिशत तक रही है।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि जिहाद, आतंकवाद और वामपंथी उग्रवाद से जुड़े ऐसे मामलों में दोषसिद्धि की दर 100 प्रतिशत रही है, जिन्हें केंद्र ने अपने हाथ में लिया।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा हाथ में लिए गए मामलों में दोषसिद्धि की औसत दर 94.17 प्रतिशत है।

राय उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब दे रहे थे।

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इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) राज्यों से मिले आंकड़ों को संकलित करता है। उन्होंने कहा कि केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी यूएपीए के तहत मामले दर्ज करती हैं और कार्रवाई करती हैं।

राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश में ऐसे मामलों में दोषसिद्धि की दर कम होने पर कुछ सदस्यों द्वारा चिंता जताए जाने पर राय ने कहा कि सभी मामलों में अदालत के फैसले नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले विभिन्न चरणों में हैं और कुछ मामले जहां जांच के चरण में हैं, वहीं कुछ मामलों में सुनवाई चल रही है।

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उन्होंने यह भी कहा कि यूएपीए के तहत गिरफ्तार किए गए लोगों के आंकड़े धर्म-वार नहीं रखे जाते हैं।

उन्होंने कहा कि बदलती जरुरतों के मद्देनजर यूएपीए में समय-समय पर संशोधन किए गए ताकि आतंकवाद और देश को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों पर काबू पाया जा सके। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों की गतिविधियों में बदलाव आया और उन्होंने उसका स्वरूप बदल दिया।

राय ने कहा कि मौजूदा सरकार की नीति आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की है और वह आतंकवाद के पूर्ण सफाए के लिए काम कर रही है।

प्रश्नकाल के दौरान ही तृणमूल कांग्रेस सदस्य डोला सेन ने दिल्ली पुलिस से जुड़ा एक प्रश्न पूछने का प्रयास किया। लेकिन उप-सभापति हरिवंश ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी और कहा कि उनका सवाल मूल सवाल से संबंधित नहीं है।

तृणमूल के अन्य सदस्यों ने भी मांग की कि डोला सेन के सवाल का जवाब दिया जाना चाहिए। इसके बाद तृणमूल के सदस्यों को सदन से बाहर जाते देखा गया। (भाषा)

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