Maharashtra Government: सुप्रीम कोर्ट में बीजेपी विधायकों के तरफ से मुकुल रोहतगी ने दी अपनी दलील

डीएन ब्यूरो

आज सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र में हो रहे सियासती हलहल को लेकर सुनवाई की जा रही है। सुनवाई के दौरान जहां कपील सिब्बल और अुन सिंघवी ने फ्लोर टेस्ट की मांग की है, वहीं बीजेपी के विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने राज्यपाल के समर्थन में दलील पेश की है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर..

फाइल फोटो
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नई दिल्लीः महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उथल-पुथल पर सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच की सुनवाई के दैरान अब बीजेपी विधायकों के तरफ से मुकुल रोहतगी ने अपनी दलीलें देनी शुरू कर दी हैं।

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उन्होनें कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट से ये अपील कर रहे हैं कि वो यह आदेश पास करे कि राज्यपाल गलत हैं। राज्यपाल का फैसला समीक्षा से परे होता है। रोहतगी ने कहा एक बीजेपी (आशीष) और कुछ निर्दलीयों के लिए आए हैं जो पार्टी नहीं हैं। लेकिन स्टेकहोल्डर हैं। संविधान के अनुच्छेद 360 और 361 में राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधिकारों का विस्तार से बखान है। अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल अपने अधिकार क्षेत्र के तहत किए गए काम के लिए किसी भी कोर्ट के सामने जवाबदेह नहीं है। राज्यपाल को अधिकार है कि वो किसको मुख्यमंत्री के रूप में चुने।

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मुकुल रोहतगी ने कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना पर तंज कसते हुए कहा की क्या तीन हफ्ते तक ये सो रहे थे, जो अभी सरकार बनाना याद आया है। साथ ही उन्होनें कहा की राज्यपाल अपने विवेक से फैसला ले सकते हैं। कोर्ट अपना नोटीस जारी करें। उन्होनें कहा की ये केस अहम है इसकी सुनवाई के लिए समय मिलना चाहिए। हर पक्ष को अपनी दलील रखने का मौका दिया जाए।

उन्होनें कहा की किसी को सड़क से उठा कर शपथ नहीं दिलाई गई है। मुकुल रोहतगी ने कहा कि कल के लिए प्रोटेम स्पीकर की शपथ, विधायकों को शपथ और फिर राज्यपाल का संक्षिप्त भाषण और फिर टेस्ट हो जाए। सदन कोर्ट का और कोर्ट सदन का सम्मान करता है। यही सत्य है। नहीं तो कहीं विधानसभा कल को पास कर दे कि सुप्रीम कोर्ट दो साल में सारे मामले निपटाए। दो तीन दिनों का वक्त भी दिया जा सकता है।










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