महाराजगंज: सिसवा इलाके में गिरते पड़ते सफर करते हैं लोग

डीएन ब्यूरो

सिसवा नगर पंचायत से सिसवा ब्लाक मुख्यालय तथा कुशीनगर जनपद को जोड़ने वाली शहीद जवाहर मार्ग की बरसात में एक बार फिर से जलमग्न होने के चलते इसकी तस्वीर बदल गयी है।

राहगीर परेशान
राहगीर परेशान


सिसवा: नगर पंचायत से सिसवा ब्लाक मुख्यालय तथा कुशीनगर जनपद को जोड़ने वाली शहीद जवाहर मार्ग की बरसात में एक बार फिर से जलमग्न होने के चलते इसकी तस्वीर बदल गयी है। प्रतिदिन स्कूली बच्चों, ब्लाक मुख्यालय जाने वालों तथा सीमावर्ती गाँव के लोगों का इस मार्ग पर गिरते पड़ते सफर करना नियति बन चुकी है। कई बार आंदोलन के बाद भी यह मार्ग आज भी जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार  है। विदित हो कि सिसवा कस्बे से ब्लाक मुख्यालय तथा पड़ोस के कुशीनगर जनपद को जोड़ने वाली इस सड़क का विगत दो वर्ष पूर्व क्षेत्र पंचायत निधि से निर्माण कराया गया था। किंतु एक साल बाद ही यह मार्ग टूटकर फिर से पूर्व की तरह हो गया। 

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यानी यह पहचानना मुश्किल हो गया कि गड्ढे में सड़क है या सड़क में गड्ढे हैं। यहां बताते चले कि इस मार्ग पर प्रतिदिन ब्लाक मुख्यालय में ब्लाक प्रमुख, खण्ड विकास अधिकारी सहित ब्लाक के कर्मचारियों तथा सेन्ट जोसेफ्स सीनियर सेकेण्डरी स्कूल के हज़ारों बच्चों का प्रतिदिन आना जाना लगा रहता है। इतना ही नहीं सीमावर्ती गाँवों के सैकड़ों लोग इस मार्ग से कुशीनगर जनपद में अपना व्यवसाय करने आते-जाते रहते हैं। इधर शुरू हुए बरसात के बाद हालत यह है कि पानी व कीचड़ से 200 मीटर तक मार्ग जलमग्न हो चुका है। जिसे पार करने में लोगों के पसीने छूट रहे हैं। हल्की सी बरसात में भी यह मार्ग पानी से लबालब भर गया है। नतीजन रोजाना लोग गिरते पड़ते सड़क को पार करने पर मजबूर हैं। राहगीरों का कहना है कि शासन-प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्वारा शहीद जवाहर प्रसाद के नाम की सड़क को उपेक्षित किया जा रहा है।

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कैसे पड़ा इस मार्ग का नाम शहीद जवाहर प्रसाद मार्ग?

सिसवा विकास खण्ड के ग्रामसभा रायपुर निवासी जवाहर कुशवाहा भारतीय सेना में हवलदार क्लर्क के पद पर जम्मू राज्य के पूंछ सेक्टर में मेन्दर तहसील अन्तर्गत बी.पी. पोस्ट पर तैनात थे। 30 दिसम्बर 2008 की रात जवाहर भारत-पाक सीमा पर गोलीबारी के दौरान घुसपैठियों से लोहा ले रहे थे। कि इसी दौरान दुश्मन की एक सनसनाती हुई गोली जवाहर के सीने को पार कर गयी। जिन्हें सेना के जवानों ने हमीरपुर लाया। जहाँ इलाज़ के दौरान उनकी मृत्यु हो गयी। जवाहर का शव कर्नल गज्जन सिंह व सूबेदार लाल सिंह के नेतृत्व में रायपुर लाया गया। जहाँ सेना के जवानों द्वारा गॉड ऑफ़ ऑनर के उपरान्त जवाहर का अन्तिम संस्कार किया गया। खण्ड विकास कार्यालय के सामने जवाहर का घर होने के चलते बाद में प्रशासन ने इस मार्ग का नाम शहीद जवाहर प्रसाद मार्ग रख दिया।










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