महराजगंज: इन नौनिहालों के लिये सरकारी योजनाएं भी बनी अछूत, कचरे के ढ़ेर में हर रोज तलाशते हैं रोटी

पेट की आग और गरीबी की विवशता के कारण कई नौनिहालों का बचपन स्कूल के बजाये कूड़े के ढेर के आसपास व्यतीत हो रहा है। सैकड़ों योजनाओं के बाद भी सरकार भी इन बच्चों के अछूत जैसी बन गयी है। पढिये, डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 16 September 2020, 6:22 PM IST

फरेंदा (महराजगंज): कहते हैं आज के बच्चे ही कल का राष्ट्र है। लेकिन जब मजबूर बच्चों का बचपन स्कूली कक्षाओं के बजाए कचरा बीनने में व्यतीत हो तो भविष्य का राष्ट्र बेहद डराने वाला और लाचार दिखता है। ऐसा ही नजारा जिले के कई क्षेत्रों में देखने को मिलता है, जहां नौनिहाल लोगों द्वारा फैंके गये कचरे में अपनी रोटी को तलाशते नजर आते हैं। 

फरेंदा कस्बे में कई बच्चे पढ़ाई की उम्र में पढ़ने के बजाय कचरा बीन रहे हैं। सरकार बच्चों के भविष्य के लिए चिंतित होने का दावा करती है। लेकिन फरेंदा में सैकड़ों नौनिहाल कचरे के ढेर में ही अपना भविष्य तलाश रहे हैं। सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया, ताकि गरीबों के बच्चों को भी बेहतर शिक्षा मिल सके। लेकिन इन बच्चों को देखकर ये सब कुछ महज एक किताबी बातें  लगती है। 

कहने को तो गरीबों को सस्ते दाम पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए खाद्य सुरक्षा अधिनियम को अमलीजामा पहनाया गया है। इतना ही नहीं गरीबों के सहायतार्थ कई योजनाएं चलाई गई हैं। लेकिन इस सबके बावजूद भी फरेंदा में गरीबों के बच्चे आज भी कूड़े के ढेर में अपनी रोटी और भविष्य तलाशते नजर आते हैं। उनकी रोजी-रोटी इसी कचरे की ढेर पर टिकी हुई है।

कूड़े के ढेर में कबाड़ चुनने के चलते हुए कई बच्चे गंभीर बीमारियों की चपेट में भी आ जाते हैं। नौनिहाल पेट भरने के लिए दिनभर कूड़ा बीनते हैं या फिर इन पर कोई दबाव है या कोई मजबूरी, इसका पता लगाने के लिए शायद विभाग की ओर से कोई प्रयास नहीं किया गया। 

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता ने जब इन बच्चों से बात की तो कई चौकाने वाली बातें सामने निकल कर आई। बच्चों से स्कूल जाने की बात पूछने पर बच्चे मायूस हो जाते हैं। जिस स्कूल को लेकर उनके मनों में उत्साह होना चाहिये था, उसे लेकर वे भयभीत हो जाते हैं।स्कूल की बात पूछने पर वे नजरें चुराते दिखते हैं।

कस्बे में गंदगी एवं कूड़ों के कई ढेर हैं, जहां विभिन्न क्षेत्रों से आकर लोग कचरा फैंकते हैं। जैसे कोई वाहन से आकर यहां कचरा पलटता है, वैसे ही यहां बच्चों का हुजूम बोरी लेकर पहुंच जाता है और कमाई के लिए गंदगी में ही भविष्य खोजने का सिलसिला शुरू हो जाता है। 
 

Published : 
  • 16 September 2020, 6:22 PM IST

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