महराजगंज: जनपद में सदर तहसील में शनिवार को आयोजित समाधान दिवस में शिकायतकर्ताओं और पीड़ितों की तमाम तरह की समस्याओं का अंबार लगा मिला। कोई परिवार रजिस्टर की नकल के लिए वर्षों से दौड़ रहा है तो कोई अपनी जमीन को दबंग के कब्जे मुक्त कराने की गुहार लंबे समय से लगा रहा है। कहीं तो जिम्मेदारों ने ही विकलांगों का अधिकार मार दिया है।
समाधान दिवस पर आये इन लोगों ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में कहा कि कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है, जिससे वे दर-दर भटकने को मजबूर है। डाइनामाइट न्यूज़ ने यहा हर मामले को सिलसिलेवार तरीके से बता रहा है।
मामला नंबर-1
उमेश्वर पांडेय पुत्र विश्वनाथ पांडेय निवासी अहिरौली थाना पनियरा समाधान दिवस पर पहुंचे एक पीड़ित हैं। डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में उमेश्वर का कहना है कि उसकी पैतृक जमीन को गाँव के ही कुछ लोग भूमिधरी/ग्रामसभा की जमीन कराने और हमें बेघर करने के जुगत में है। वह इंसाफ पाने के लिये 17 वर्षो से दौड़ रहा है।
उमेश्वर कहते हैं “मैं कागज लेकर 17 वर्षो से दौड़ रहा हूं लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। और तो और परिवार रजिस्टर की नकल तक देने में हिला हवाली तहसील के जिम्मेदार कर रहे है। इनका कहना है कि यदि नकल मिल जाती तो हमें न्याय पाने में आसानी होती।“
मामला नंबर-2
पनियरा थाने के जंगल जरलहा उर्फ तेनअहिया गाँव के लगभग दर्जनों लोगों ने तहसील के समाधान दिवस में आकर तहसील का घेराव करते हुए अपनी जान के सुरक्षा की मांग की हैं ।
इन लोगों ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा “हम लोग अनुसूचित जाति के गरीब लोग है और हम लोगों के पास जमीन जायदाद नहीं है। हम लोगों के पक्ष में 21/8/1996 को लगभग एक-एक एकड़ कुल 37 एकड़ भूमि 39 लोगों को बतौर असामी असक्रमनिय भूमिधर का पट्टा स्वीकृति किया गया था। उसके बाद आज तक सभी लोग अपने-अपने ज़मीन पर काबिज है”।
इन लोगों की शिकायत है कि कुछ महीनों से कुछ दबंग लोग आकर हमें गाली देते हुए धमका रहे है कि जमीन हमारी है, जमीन को खाली कर दो। जब हम लोग तहसील में जांच कराए तो पता चला कि गलत तरीके से किसी का नाम चढ़ा दिया गया है। अब हमारा कोई सुनने वाला नहीं है। हम लोग थाने और तहसील के चक्कर मे परेशान हो जा रहे है।
मामला नंबर-3
सदर तहसील के सिसवा अमहवा गाँव निवासी मधुसूदन पुत्र संतराज 80 प्रतिशत विकलांग है। उनका कहना है कि पूर्वजों का मकान है, उसमें उसे एक कमरा मिला है, जिसमें पूरा परिवार रह रहा है और वह काफी जर्जर हो चुका है। किसी भी समय गिर सकता है। हम विकलांग है, फिर भी हमें आवास योजना से जानबूझ कर वंचित रखा जा रहा है। मधुसूदन ने कहा “मैं महीनों से अधिकारियों के दरवाजों पर भटकने को मज़बूर हूं लेकिन कोई सुनने वाला नही है।“