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Madhya Pradesh: राहुल गांधी ने सरकार पर साधा निशाना, जातीय जनगणना का ‘‘एक्स-रे’ जरूरी

जातिगत जनगणना को ‘‘एक्स-रे रिपोर्ट’’ बताते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों, दलितों और आदिवासियों की वास्तविक आबादी के अनुपात में सरकार में उनकी भागीदारी पक्की करने के लिए इस तरह की गिनती जरूरी है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Madhya Pradesh: राहुल गांधी ने सरकार पर साधा निशाना, जातीय जनगणना का ‘‘एक्स-रे’ जरूरी

अशोक नगर: जातिगत जनगणना को ‘‘एक्स-रे रिपोर्ट’’ बताते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों, दलितों और आदिवासियों की वास्तविक आबादी के अनुपात में सरकार में उनकी भागीदारी पक्की करने के लिए इस तरह की गिनती जरूरी है।

मध्य प्रदेश में जातिगत जनगणना कराना कांग्रेस के चुनावी वादों में शुमार है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार गांधी ने यहां एक चुनावी सभा में कहा,‘‘किसी व्यक्ति को जब चोट लगती है, तो हम यह पता लगाने के लिए उसका एक्स-रे कराते हैं कि उसकी हड्डी टूटी है या नहीं। इसी तरह, मैं जातिगत जनगणना को भी एक्स-रे (रिपोर्ट) कहता हूं।’’

उन्होंने कहा कि ओबीसी के लोगों, दलितों और आदिवासियों को बेरोजगारी और महंगाई के कारण जबर्दस्त कष्ट हो रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि जातिगत जनगणना से इन समुदायों की वास्तविक आबादी पता चल सकेगी जिसके अनुपात में सरकार में इनकी भागीदारी सुनिश्चित हो सकेगी।

गांधी ने दावा किया कि जातिगत जनगणना के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मौन बने हुए हैं।

उन्होंने कहा,‘‘मोदी अपने आप को ओबीसी बताते हैं, पर जब भी जातिगत जनगणना की बात आती है, तो वह कहते हैं कि हिंदुस्तान में केवल एक जाति है और वह है गरीब।’’

उन्होंने दावा किया कि देश चलाने वाली केंद्र सरकार के 90 शीर्ष अफसरों में केवल तीन अधिकारी ओबीसी वर्ग के हैं। गांधी ने कहा,‘‘अगर हिंदुस्तान का बजट 100 रुपये का है, तो ओबीसी के अफसर केवल पांच रुपये के खर्च का निर्णय लेते हैं, जबकि आदिवासी अफसर केवल 10 पैसे के व्यय का फैसला लेते हैं।’’

गांधी ने नरेन्द्र मोदी सरकार पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विनिवेश और निजीकरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन कदमों के कारण ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्ग के लोग सरकारी भर्तियों से दूर हो गए हैं।

माल एवं वस्तु कर (जीएसटी) को उक्त तीनों वर्गों के हितों के खिलाफ बताते हुए उन्होंने कहा इन तबकों के लोगों की जेब से जीएसटी वसूला जा रहा है और इस रकम से बड़े उद्योगपतियों को सरकारी बैंकों के जरिये भारी-भरकम कर्ज दिया जा रहा है।

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