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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत हाई कोर्ट से ख़ारिज

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ़ मोनू की ज़मानत याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को ख़ारिज कर दी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत हाई कोर्ट से ख़ारिज

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ़ मोनू की ज़मानत याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को ख़ारिज कर दी।

मोनू, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ का बेटा है।उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्णा पहल की पीठ ने मोनू की जमानत अर्जी खारिज करने का आदेश पारित करते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों को देखते हुए आशीष को जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि अदालत ने 15 जुलाई को ही इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था।

अदालत ने कहा कि मामले के तथ्य एवं परिस्थितियों के मद्देनजर याचिकाकर्ता की जमानत मंजूर करना न्याय के हित में नहीं है। अदालत ने मामले के मुख्य आरोपी को जमानत पर रिहा किये जाने से सबूतों के साथ छेड़छाड़ किये जाने और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका जताते हुए उसकी याचिका को खारिज कर दिया।

इस मामले में उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 10 फ़रवरी को मिश्रा को ज़मानत दे दी थी, लेकिन उच्चतम न्यायालय ने अदालत के जमानत आदेश को पलटते हुए उच्च न्यायालय से इस फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था।शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से कहा कि पीड़ितों को पर्याप्त अवसर देने के बाद मामले के मुख्य आरोपी को जमानत देने के बारे में फिर से विचार किया जाए।

इसके बाद उच्च न्यायालय ने ज़मानत याचिका पर फिर से सुनवाई कर मिश्रा की जमानत को रद्द करने का आदेश दिया है। इस मामले में दो एफ़आईआर दर्ज की गई हैं।मोनू को 28 दिन तक जेल में रहने के बाद उच्च न्यायालय से वह जमानत पर रिहा हुआ था।

उच्चतम न्यायालय द्वारा मोनू की जमानत रद्द किये जाने पर उसने 68 दिन जेल से बाहर बिताने के बाद 24 अप्रैल को अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।गौरतलब है कि तीन प्रस्तावित कृषि कानूनों के विरोध में लचाीमपुर खीरी में शांतिपूर्वक पैदल मार्च कर रहे किसानों को गाड़ी से कुचलने से जुड़े इस मामले में चार प्रदर्शनकारियों की मौत हो गयी थी। इसके बाद घटनास्थल पर ही उपजी हिंसा में चार अन्य लोग मारे गये थे। (वार्ता)

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