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Life consecration ceremony: राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले कर्नाटक में गोधरा जैसी घटना की आशंका

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बी के हरिप्रसाद ने बुधवार को दावा किया कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले कर्नाटक में ‘गोधरा जैसी घटना’ के घटित होने की आशंका है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Life consecration ceremony: राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले कर्नाटक में गोधरा जैसी घटना की आशंका

बेंगलुरु:  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बी के हरिप्रसाद ने बुधवार को दावा किया कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले कर्नाटक में ‘गोधरा जैसी घटना’ के घटित होने की आशंका है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक विधान पार्षद हरिप्रसाद (एमएलसी) ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कर्नाटक सरकार को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि गुजरात में इसी तरह के अवसर पर गोधरा में कार सेवकों को आग लगा दी गई थी।’’

वर्ष 2002 के गोधरा ट्रेन अग्निकांड के बाद गुजरात में भयानक सांप्रदायिक दंगे हुए थे।

पूर्व राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘यहां भी ऐसी ही (गोधरा जैसी) स्थिति बन सकती है। इसलिए कर्नाटक में किसी भी तरह की अप्रिय घटना की गुंजाइश पैदा नहीं होने देनी चाहिए। अयोध्या जाने के इच्छुक लोगों के लिए सभी व्यवस्थाएं की जानी चाहिए ताकि हमें कर्नाटक में एक और गोधरा ना देखना पड़े।’’

हरिप्रसाद ने आरोप लगाया, ‘‘ऐसी घटना की पूरी आशंका है। मैं जानकारी भी दे सकता हूं। मैं आपको बता सकता हूं कि कुछ संगठनों के प्रमुख कई राज्यों में गए और कुछ भाजपा नेताओं को उकसाया, लेकिन मैं यह बात खुलकर नहीं कह सकता। वे ऐसा कर रहे हैं, वे इस तरह के कृत्य के लिए उकसा रहे हैं।’’

अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए कांग्रेस नेताओं को आमंत्रित किये जाने से जुड़े सवाल पर हरिप्रसाद ने कहा कि इस कार्यक्रम को धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक तौर पर देखा जाना चाहिए।

हरिप्रसाद ने कहा, ‘‘अगर कोई हिंदू धर्म गुरु राम मंदिर का उद्घाटन करता तो आप और मैं बिना किसी आमंत्रण के वहां (अयोध्या) पहुंचते।’’

उन्होंने कहा, ‘‘चार शंकराचार्य हिंदू धर्म के प्रमुख हैं। यदि चारों शंकराचार्य या कोई धर्मगुरु कार्यक्रम का उद्घाटन करता तो मैं भी कार्यक्रम में शामिल होता। (प्रधानमंत्री) नरेन्द्र मोदी और (गृह मंत्री) अमित शाह ‘धर्म गुरु’ नहीं बल्कि राजनीतिक नेता हैं। हमें इसे ध्यान में रखना होगा।’’

 

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