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केंद्रीय मंत्री ने संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिये जानिये किसे ठहराया जिम्मेदार

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने संसद की कार्यवाही बाधित करने और सदन में काले कपड़े पहनकर आने के लिए बृहस्पतिवार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना की। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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केंद्रीय मंत्री ने संसद की कार्यवाही बाधित करने के लिये जानिये किसे ठहराया जिम्मेदार

नयी दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने संसद की कार्यवाही बाधित करने और सदन में काले कपड़े पहनकर आने के लिए बृहस्पतिवार को कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना की। हंगामे और नारेबाजी के बीच बजट सत्र के अंतिम दिन लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई।

राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के साथ संवाददाताओं से चर्चा में रीजीजू ने कहा कि कांग्रेस और ‘उसके गिरोह’ एक व्यक्ति राहुल गांधी की खातिर संसद की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उन्होंने कहा, ‘‘आखिरी दिन भी कांग्रेस और उसके मित्रों ने सदन की कार्यवाही बाधित की। उन्होंने काले कपड़े पहने और फिर से संसद का अपमान किया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। हम चाहते हैं कि संसद की गरिमा बनी रहे। कांग्रेस और उसके समर्थक एक सांसद राहुल गांधी के लिए क्या कर रहे हैं, इसे देश देख रहा है।’’

रीजीजू ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि कैसे कांग्रेस और उसके गिरोह दबाव बनाने के लिए सूरत की अदालत गए। जिस तरह से उन्होंने जुलूस निकाला, वह निंदनीय है।’’

विपक्षी दलों ने संसद के पूरे बजट सत्र के दौरान एकता दिखाई। गत 13 मार्च को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की कार्यवाही शुरू होने के बाद से विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया है।

अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग को लेकर सभी पार्टियां एकमत रही हैं और उन्होंने इस मामले को लोकसभा और राज्यसभा में उठाया जिससे दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई।

इस दौरान भाजपा, कांग्रेस नेता राहुल गांधी से ब्रिटेन में उनके लोकतंत्र संबंधी बयान को लेकर माफी मांगने की मांग पर अड़ी रही।

सूरत की एक अदालत ने 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में गांधी को दोषी ठहराया था और सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया।

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