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‘कमान सेतु’ से उरी में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा मिला

जम्मू कश्मीर में ‘कमान सेतु’ भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) तक फैला है और यह एक ऐसा पुल है जिससे उरी में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा मिला है और आगंतुकों को समकालीन इतिहास को जानने का मौका भी मिला है।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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‘कमान सेतु’ से उरी में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा मिला

उरी (जम्मू-कश्मीर): जम्मू कश्मीर में ‘कमान सेतु’ भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) तक फैला है और यह एक ऐसा पुल है जिससे उरी में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा मिला है और आगंतुकों को समकालीन इतिहास को जानने का मौका भी मिला है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार श्रीनगर से लगभग 70 किलोमीटर दूर उरी लंबे समय से दुश्मन की गोलाबारी की चपेट में रहा है और कश्मीर घाटी को पीओके से जोड़ने वाले कमान पुल की सुरक्षा में सैनिक तैनात रहते हैं। यह पुल एक ऐसी नदी के ऊपर है जो भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा के रूप में मानी जाती है।

लेकिन अब इस पुल को पर्यटकों के लिए खोले जाने के बाद चीजे बदल गई हैं। इस पुल को ‘अमन सेतु’ भी कहा जाता है।

पर्यटकों के लिए इस पुल को खोले जाने के बाद अब यहां की तस्वीर बदल गई है। सितंबर 2018 में जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादियों के हमले के बाद भारत की ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ पर आधारित बॉलीवुड फिल्म ‘उरी’ बनने के बाद पर्यटकों ने शहर में आना शुरू किया। हालांकि उरी की शूटिंग के समय इस क्षेत्र की स्थिति तनावपूर्ण थी और फिल्म की शूटिंग सर्बिया में हुई थी, लेकिन इस फिल्म के पर्दे पर आने के बाद से घाटी के इस क्षेत्र की तस्वीर बदल गई।

‘उरी’ फिल्म के बाद से ही बदलाव दिख रहा है। मार्च के अंत में पर्यटकों के लिए ‘कमान-अमन सेतु’ खोले जाने के बाद से पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रतिदिन लगभग 3,000 लोग आते हैं और यहां के खूबसूरती के नजारे लेते हैं।

दूसरी तरफ नागरिक पाकिस्तानी सेना के स्नाइपर्स की कड़ी निगरानी में पुल के खिलाफ ‘सेल्फी’ लेते देखे जा सकते हैं।

फरवरी 2019 में उस समय भारत द्वारा कश्मीर और पीओके के बीच बस सेवा को निलंबित करने के बाद गेट बंद कर दिए गए थे, जब पुलवामा में जैश के आत्मघाती हमले में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गये थे।

एक पर्यटक सुविधा केंद्र में कार्यरत स्थानीय लोग, मुख्य शहर से लगभग 18 किमी दूर कमान पोस्ट पर जाने के लिए उत्सुक पर्यटकों का स्वागत करते हैं।

इस केंद्र का प्रबंध करने वाले इमरान अशरफ ने कहा, ‘‘ रास्ते में लुभावने परिदृश्य के साथ कई दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को रोमांचित करते हैं। हमें उम्मीद है कि भारतीय सेना द्वारा पुल को खोलने के कदम से इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। पुल के खुल जाने से पर्यटन को रफ्तार मिली है और इसने कई रोजगार के नये अवसर भी मुहैया कराए हैं।’’

स्थानीय पुलिस थाने से दस्तावेजों की जांच के बाद, आगंतुक कश्मीर के दोनों किनारों के बीच बहने वाली नदी खलिन-दा-खास नाला की ओर जाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम पर्यटकों को प्रसिद्ध पुल की यात्रा शुरू करने से पहले क्या करें और क्या न करें के बारे में सूचित करते हैं। कई उरी निवासी भी यात्रा करते हैं क्योंकि उन्होंने इसे नहीं देखा है।”

सेना की 15वीं कोर के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह औजला के अनुसार, आम जनता के लिए पुल खोलने का निर्णय इसलिए लिया गया ताकि ‘‘लोगों को पता चले कि हमारे नायकों ने हमारे भविष्य बनाने के लिए कितनी मेहनत की है।’’

औजला ने पुल पर चलने के बाद कहा, ‘‘आखिरकार, मुझे अपने क्षेत्र की एक-एक इंच पर चलने का पूरा अधिकार है।’’

तीन स्थानीय ‘गाइड’, काले और सफेद कपड़े पहने, लोगों का अभिवादन करते हैं और क्षेत्र के इतिहास के बारे में लोगों को जानकारी देते हैं।

एक गांव के सरपंच फैयाज अहमद के अनुसार कमान चौकी खोलना क्षेत्र की सफलता की पहली सीढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘‘अब मुझे उम्मीद है कि क्षेत्र के अन्य क्षेत्र जिनमें कुछ धार्मिक स्थान शामिल हैं, को जनता के लिए खोल दिया जाएगा।’’

 

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