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भारतीय गायकों को खुद को साबित करने की जरूरत नहीं, आगे बढ़ने के लिए समर्थन की जरूरत: शुभा मुद्गल

हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका शुभा मुद्गल का कहना है कि गायकों की युवा पीढ़ी प्रतिभाशाली और प्रतिबद्ध है, जो रियाज करने में घंटों बिताती है, लेकिन आगे बढ़ने के लिए उसे श्रोताओं और संगठनों के समर्थन की जरूरत है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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भारतीय गायकों को खुद को साबित करने की जरूरत नहीं, आगे बढ़ने के लिए समर्थन की जरूरत: शुभा मुद्गल

नयी दिल्ली:  हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका शुभा मुद्गल का कहना है कि गायकों की युवा पीढ़ी प्रतिभाशाली और प्रतिबद्ध है, जो रियाज करने में घंटों बिताती है, लेकिन आगे बढ़ने के लिए उसे श्रोताओं और संगठनों के समर्थन की जरूरत है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक मुद्गल ने कहा कि गायकों को यह साबित करने की जरूरत नहीं है कि वे कितने अच्छे हैं, ''इसकी जिम्मेदारी श्रोताओं और आयोजकों के हाथों में है।''

मुद्गल ने कहा, “छात्र और युवा कलाकार आज अपनी कला के प्रति बहुत प्रतिबद्ध हैं और वे बहुत प्रतिभाशाली भी हैं। लेकिन उन्हें संगीत प्रेमियों और आयोजकों के समर्थन की जरूरत है… दक्षिण अफ्रीकी हास्य कलाकार ट्रेवर नोआ या कनाडा के गायक जस्टिन बीबर के शो के टिकट इतनी बड़ी रकम में बेचे जाते हैं। यहां तक कि अगर उस रकम का आधा हिस्सा उभरते भारतीय कलाकारों को दिया जाता है, जिनकी प्रस्तुति का टिकट 200 रुपये या उसके आसपास होता है, तो सोचिए कि इसका कितना प्रभाव पड़ेगा।”

मुद्गल (64) ने हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी में नाट्य तरंगिनी द्वारा आयोजित 'परंपरा श्रृंखला' के 27वें संस्करण में प्रस्तुति दी।

लगभग चार दशकों के अपने करियर में, मुद्गल ने कुछ चर्चित गीत गाए हैं, जिनमें 'अली मोरे अंगना' और 'अब के सावन' , 'सीखो ना', 'पिया तोरा कैसा अभिमान' और 'हजारों ख्वाहिशें ऐसी' जैसे हिट गाने शामिल हैं।

 

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