Uttar Pradesh: लखनऊ चिड़ियाघर में अतिरिक्त जानवरों से बढ़ रहा आर्थिक बोझ

डीएन ब्यूरो

लखनऊ के चिड़ियाघर में तय संख्या से ज्यादा जानवरों के होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है। वहीं दूसरी ओर चिड़ियाघर में हाथी, गेंडा, दरियाई घोड़ा जैसे जीव मौजूद नहीं हैं। जिनकी यहां आने वाले पर्यटकों के बीच खासी मांग रहती है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर..



लखनऊ: चिड़ियाघर में अतिरिक्त मौजूद 136 से अधिक वन्य जीवों के कारण जू पर सालाना 25 लाख रुपए का बोझ पड़ रहा है। इनमें से अकेले सरप्लस बाघ, तेंदुआ और हिरन पर ही सालाना 18 लाख रुपए से ज्यादा की राशि खर्च हो रही है। जिसके कारण अब चिड़ियाघर प्रशासन अतिरिक्त जीवों को शिफ्ट किये जाने की तैयारी कर रहा है।

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वहीं जो जीव जू में नहीं हैं, या जिनकी खास मांग की जा रही है उन्हें मंगवाने की तैयारी की जा रही है। जिससे बेवजह का खर्चा और आर्थिक बोझ हटाया जा सके। मामले की जानकारी देते हुए लखनऊ चिड़ियाघर निदेशक राजेंद्र सिंह ने बताया की सरप्लस वन्य जीवों की लिस्ट तैयार होकर सीजेडए के पास पंहुचती है। जहां तय सीमा से ज्यादा वन्य जीव रहते हैं। वहां अपनी मांग के हिसाब से वन्य जीव चाह रहे प्राणी उद्यान सीजेडए के माध्यम से अपनी बातचीत आगे बढ़ाते हैं।

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इसमे वन्य जीव की उम्र, लिंग आदि के बारे मे जानकारी रहती है। साथ ही लखनऊ चिड़ियाघर को अनुदान और टिकटों की बिक्री से सलाना लगभग 8 करोड़ रुपए की आय होती है। जिसमें जीवों के रखरखाव और स्टाफ का वेतन आदि सब कुछ शामिल है। ऐसे में अतिरिक्त जीवों को दूसरे प्राणी उद्यानों में शिफ्ट कर खर्च घटाये जाने की कोशिशे चल रही हैं।










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