Site icon Hindi Dynamite News

पिता चाहते थे बेटे की डीएनए जांच, किशोर को आखिर इस तरह मिली बड़ी राहत, जानिये पूरा मामला

एक किशोर को राहत देते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने उसके पिता की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने किशोर की डीएनए जांच कराने का अनुरोध किया था । पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
Published:
पिता चाहते थे बेटे की डीएनए जांच, किशोर को आखिर इस तरह मिली बड़ी राहत, जानिये पूरा मामला

नागपुर: एक किशोर को राहत देते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने उसके पिता की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने किशोर की डीएनए जांच कराने का अनुरोध किया था ताकि उसका पितृत्व साबित हो सके। अदालत ने कहा कि बच्चों को यह अधिकार है कि उनके जन्म की वैधता को लेकर अदालतों में तुच्छ तरीके से सवाल नहीं उठाया जाये।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने कहा कि रोजगार की दृष्टि से बेहतर स्थिति में होने के बावजूद पिता बेचारे बच्चे को गुजारे भत्ते का भुगतान करने की जिम्मेदारी से यह कहकर बचने की कोशिश कर रहा था कि वह पहले डीएनए जांच कराए।

न्यायमूर्ति जी. ए. सनप ने यह आदेश 10 मार्च को दिया। चंद्रपुर स्थित वेस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) में कार्यरत याचिकाकर्ता की शादी इसी कंपनी की एक महिला से वर्ष 2006 में हुई थी जिसने उसके बेटे को 27 अप्रैल, 2007 को जन्म दिया।

हालांकि, वैवाहिक झगड़े के कारण उसने अपनी पत्नी को कुछ सालों बाद छोड़ दिया। इसके बाद महिला ने प्रतिमाह 5000 रुपये के गुजारे भत्ते के लिये याचिकाकर्ता से संपर्क किया, लेकिन उसने इसे देने से इनकार कर दिया और आरोप लगाया कि लड़का उसका बेटा नहीं है।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने चंद्रपुर जिला अदालत के वर्ष 2021 के उस आदेश को चुनौती दी जिसने जेएफएफसी के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें बच्चे को नागपुर स्थित रीजनल फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में डीएनए जांच कराने का निर्देश दिया गया था।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में गुहार लगाई और बच्चे की डीएनए जांच कराने का अनुरोध किया।

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सनप ने कहा कि बच्चों को यह अधिकार है कि उनके जन्म की वैधता पर अदालतों में तुच्छ तरीके से सवाल न उठाया जाये।

Exit mobile version