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हरियाणा की खाप, किसान संगठनों का पहलवानों को समर्थन, पदक गंगा में प्रवाहित नहीं करने की अपील

हरियाणा की खाप और किसान संगठनों ने मंगलवार को प्रदर्शनकारी पहलवानों से अपने पदक गंगा में प्रवाहित नहीं करने की अपील की।
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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हरियाणा की खाप, किसान संगठनों का पहलवानों को समर्थन, पदक गंगा में प्रवाहित नहीं करने की अपील

चंडीगढ़: हरियाणा की खाप और किसान संगठनों ने मंगलवार को प्रदर्शनकारी पहलवानों से अपने पदक गंगा में प्रवाहित नहीं करने की अपील की।

पहलवानों ने घोषणा की थी कि वे भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख और भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रदर्शन के तहत अपने पदक हरिद्वार में नदी में बहा देंगे। हालांकि, किसान नेताओं द्वारा इस मुद्दे को हल करने के लिए उनसे पांच दिन का समय मांगे जाने के बाद पहलवानों ने ऐसा नहीं किया।

इससे पहले, कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी पहलवानों से अपने पदक नदी में प्रवाहित नहीं करने की अपील करते हुए कहा कि उन्होंने देश के लिए जो पुरस्कार जीते, वे किसी व्यक्ति या किसी सरकार की कृपा से नहीं आए।

हिसार से भाजपा के लोकसभा सदस्य बृजेंद्र सिंह ने कहा कि यह बेहद मायूस करने वाला लम्हा है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मैं अपने पहलवानों के दर्द और लाचारी को महसूस करता हूं, जिससे वे अपने जीवन भर की कड़ी मेहनत-ओलंपिक, राष्ट्रमंडल खेलों, एशियाई खेलों के पदकों को गंगा में फेंकने के कगार पर पहुंचने के लिए मजबूर हुए हैं। यह बेहद मायूस करने वाला लम्हा है।’’

प्रदर्शनकारी पहलवानों का समर्थन करते हुए फोगाट खाप नेता बलवंत नंबरदार ने कहा, ‘‘हम उनसे अनुरोध करते हैं कि ये पदक उनकी कड़ी मेहनत, उनके परिवारों के बलिदान और समाज के समर्थन का परिणाम हैं। उन्हें यह कदम नहीं उठाना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शीर्ष अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में देश का प्रतिनिधित्व करने वाले इस तरह के फैसले लेने के लिए मजबूर हुए हैं। सरकार को शर्म आनी चाहिए और इस मामले में उन्हें न्याय देना चाहिए।’’

नंबरदार ने यह भी कहा कि हरियाणा की खाप और किसान संगठन न्याय के लिए संघर्ष में पहलवानों के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा, ‘‘चरखी दादरी उनके लिए अपना खून बहाने को तैयार है।’’

हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के प्रमुख गुरनाम सिंह चढूनी ने भी प्रदर्शनकारी पहलवानों से अपने पदक (नदी में) नहीं बहाने का अनुरोध करते हुए कहा था कि पुरस्कार राष्ट्रीय विरासत का हिस्सा हैं और आने वाली पीढ़ियां इनसे प्रेरणा लेंगी। कंडेला खाप नेता रामफल कंडेला ने भी पहलवानों से अपने पदक नदी में प्रवाहित नहीं करने की अपील की।

 

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