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केंद्र में तानाशाही शासन को हटाने के लिए इंडिया गठबंधन का गठन,सामना में बोली उद्धव शिवसेना

विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) में उठापटक के बीच शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सोमवार को कहा कि यह गठबंधन केंद्र में ‘‘तानाशाही शासन’’ को खत्म करने के लिए बनाया गया लेकिन राज्यों में राजनीति अलग होती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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केंद्र में तानाशाही शासन को हटाने के लिए इंडिया गठबंधन का गठन,सामना में बोली उद्धव शिवसेना

मुंबई: विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) में उठापटक के बीच शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सोमवार को कहा कि यह गठबंधन केंद्र में ‘‘तानाशाही शासन’’ को खत्म करने के लिए बनाया गया लेकिन राज्यों में राजनीति अलग होती है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में यह भी कहा गया है कि इस महीने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव अगले साल के लोकसभा चुनावों के लिए ‘‘ड्रेस रिहर्सल’’ हैं।

इसमें कहा गया है कि जिन पांच राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव होने हैं, वहां कांग्रेस एक प्रमुख दल है।

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘कांग्रेस के लिए सत्ता के दुरुपयोग और धन के अहंकार को खत्म करने के वास्ते चुनाव जीतना महत्वपूर्ण है। यह इंडिया गठबंधन के लिए अहम साबित होगा।’’

इसमें विश्वास जताया गया है कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन जीतेगा।

मराठी दैनिक में कहा गया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चिंता वाजिब है।

गत सप्ताह कुमार ने ‘इंडिया’ की सक्रियता थमने के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि देश की सबसे पुरानी पार्टी को फिलहाल पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में दिलचस्पी है तथा विपक्षी मोर्चे को आगे बढ़ाने की उसे चिंता नहीं है।

‘सामना’ में कहा गया है कि 28 विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले कुमार को अपनी चिंता सार्वजनिक रूप से व्यक्त नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को खुशी होगी।

संपादकीय में कहा गया है, ‘‘इंडिया गठबंधन केंद्र में तानाशाही शासन को खत्म करने के लिए बनाया गया है और सभी इस पर सहमत हैं। राज्य में राजनीति अलग होती है और बड़े राजनीतिक दलों को उसके अनुसार फैसले लेने पड़ते हैं।’’

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