DN Exclusive: फतेहपुर के उद्यमी ने खोली विभागीय भ्रष्टाचार और शोषण की पोल, DM बोले- करेंगे उचित कार्यवाही

डीएन संवाददाता

सीएम योगी ने यूपी में पहली बार ऐतिहासिक इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन कर राज्य में निवेशकों को भले ही खुले मन से आमंत्रित किया हो, लेकिन सीएम समेत सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना को किस कदर विभागों द्वारा पलीता लगाया जा रहा है, इसका अव्वल उदाहरण फतेहपुर में सामने आया है। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट



फतेहपुर: केंद्र की मोदी सरकार और यूपी की योगी सरकार भले ही उद्यमिता विकास, स्टार्ट-अप जैसी योजनाओं को बढ़ावा दे रही हो लेकिन सरकारी विभागों में फैले पारंपिरक भ्रष्टाचार के कारण उद्यमियों के हौसले पस्त होने जारी है। ऐसा ही एक मामला फतेहपुर में सामने आया है, जहां फायर विभाग द्वारा एनओसी न दिये जाने के कारण एक फैक्ट्री संचालक महीनों से परेशान है और फैक्ट्री का प्रोडक्शन बंद पड़ा हुआ है। परेशान उद्यमी की गुहार पर जिलाधिकारी आंजनेय कुमार ने अब इस मामले में जांच कराने और उचित कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है।  

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जानकारी के मुताबिक सरकार द्वारा उद्यमिता विकास को बढ़ावा देने से प्रेरित एक युवा उद्यमी ने जिले के इंडस्ट्रीयल एरिया ई-26 यूपीआईडीसी मलवान में एक साल पहले पिंडारन मेटल एंड अलॉय नाम से फैक्ट्री स्थापित की। डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में  इस फैक्ट्री के मालिक सतेंद्र सिंह का कहना है कि उन्होंने करोड़ों रूपये लगाकर यूपीआईडीसी के हर नार्म्स के तहत फैक्ट्री की स्थापना की। फैक्ट्री का संचालन भी शुरू हुआ लेकिन इसी अप्रैल माह में फायर बिग्रेड ने उन्हें यह कहते हुए NOC देने से मना कर दिया कि उनकी फैक्ट्री नार्म्स के मुताबिक नहीं है। इससे पहले कई बार बिजली भी कटती रही। उनका कहना है कि फायर बिग्रेड द्वारा NOC न दिये जान के बाद से उनकी फैक्ट्री का उत्पादन ठप्प पड़ा हुआ है और कर्मचारी भी खाली बैठे हुए है।

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डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में सतेंद्र सिंह ने कहा कि रिश्वत न दिये जाने का कारण ही फायर बिग्रेड ने उन्हें एनओसी जारी नहीं की। उनका कहना है कि फैक्ट्री का निर्माण यूपीआईडीसी के मानकों के अनुरूप किया गया है। यह कैसे हो सकता है कि यूपीआईडीसी के मानक कुछ दूसरे और फॉयर विभाग के मानक कुछ दूसरे हों। उनका आरोप है कि विभाग को अगर रिश्वत के रूप में पैसे दिये जाते तो यह काम हो जाता, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, जिसकी वो सजा भुगत रहे हैं। 

 

 

 

उनका कहना है कि फॉयर विभाग द्वारा जिलाधिकारी को भी गलत जानकारी दी गयी है। फायर अधिकारी द्वारा मुझे कभी इस तरह कोई मानक नहीं दिया गया, जिसकी वो अब बात कर रहे है। यह केवल भ्रष्टाचार का मामला है। उनको कहा कि फायर विभाग ने दो महीने तक तो एनओसी के लिये उनका आवेदन लिया ही नहीं। चार महीने बाद जब आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई तो इसे रिजेक्ट कर दिया गया। एनओसी के लिये उन्हें कई बार विभाग के चक्कर काटने पड़े। फाइलें विभाग में लंबे समय तक धूल चाटती रही।

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कथित तौर पर विभागीय शोषण से परेशान सतेंद्र सिंह ने गत दिनों जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह के साथ उद्योग बंधुओं की बैठक में भी यह मामला उठाया। जिस पर उन्हें उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया गया, लेकिन समस्या नहीं सुलझी।

इस मामले को लेकर शुक्रवार को मीडिया द्वारा पूछे जाने पर जिलाधिकारी ने कहा कि हालांकि यह मामला उनके कार्यकाल से पहले का है लेकिन फैक्ट्री संचालक के बताने पर यह मामला उनके संज्ञान में है। डीएम ने कहा कि फॉयर विभाग मानता है कि फैक्ट्री उसके नार्म्स के मुताबिक नहीं है, जबकि उद्यमी का कहना है कि फैक्ट्री की स्थापना यूपीआईडीसी के मानकों के मुताबिक हुई है। जिलाधिकारी ने कहा कि इस मामले को सुलझाने के लिये इलाहाबाद से सीएफओ (चीफ फॉयर ऑफिसर) को बुलाकर जांच कराई जायेगी और मामला सुलझाया जायेगा। यदि कोई छोटी-मोटी कमी पायी जाती है तो उसे भी ठीक कर लिया जायेगा।  
 

 










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