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पहचान अक्षुण्ण रखने के लिए सांस्कृतिक सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण, जितने सुरक्षा के अन्य पहलू: राजनाथ

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि देश की पहचान अक्षुण्ण रखने के लिए ‘सांस्कृतिक सुरक्षा’ भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितने सुरक्षा के अन्य पहलू। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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पहचान अक्षुण्ण रखने के लिए सांस्कृतिक सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण, जितने सुरक्षा के अन्य पहलू: राजनाथ

सोमनाथ: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि देश की पहचान अक्षुण्ण रखने के लिए ‘सांस्कृतिक सुरक्षा’ भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितने सुरक्षा के अन्य पहलू।

सिंह ने गुजरात के गिर सोमनाथ जिले में आयोजित ‘सौराष्ट्र-तमिल संगमम्’ कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' को लेकर परोक्ष रूप से उन पर निशाना साधा और कहा कि जो लोग कुछ और करने में सक्षम नहीं हैं, वे भारत को जोड़ने के लिए निकल पड़े, जो ‘एकजुट और अभेद्य’ है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सिंह ने यह भी कहा, ‘‘आप सभी सीमा सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा के बारे में जानते हैं। अब अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा जैसे नये आयाम भी जुड़ गए हैं। हां, सुरक्षा का एक और आयाम भी है, जो उतना ही महत्वपूर्ण है और यह आयाम है हमारी संस्कृति का। अगर मुझे इसे कोई नाम देना होगा, तो मैं इसे सांस्कृतिक सुरक्षा कहूंगा।’’

उन्होंने कहा कि जिस तरह किसी राष्ट्र की पहचान को अक्षुण्ण रखने के लिए सीमाओं और अन्य चीजों की सुरक्षा की जरूरत होती है, उसी तरह उसकी पहचान को अक्षुण्ण रखने के लिए उसकी संस्कृति की सुरक्षा भी जरूरी है।

सिंह ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक परंपरा इतनी मजबूत है कि तीव्र झंझावात भी इसे हिला नहीं सकता।

सिंह ने राहुल गांधी की ओर से सितंबर 2022 से जनवरी 2023 तक निकाली गयी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का हवाला देते हुए कहा, ‘‘लेकिन ऐसे अखंड, अभेद्य और अद्वितीय भारत को जोड़ने का फैशन है। जो कुछ और नहीं कर पाते हैं वे भारत को जोड़ने निकल पड़ते हैं, लेकिन भारत कह रहा है कि ‘मैं अखंड हूं, मैं टूटा नहीं हूं', लेकिन वे कहते हैं कि नहीं, मैं आपको जोड़ता रहूंगा।’’

राहुल गांधी की इस यात्रा के दौरान 3,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की गई थी।

राजनाथ ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, ‘‘आज नहीं, ये लंबे समय से भारत को जोड़ने का काम कर रहे हैं।’’

सिंह ने कहा, ‘‘भारत एक बड़े सांस्कृतिक परिवर्तन का साक्षी बन रहा है और हम भाग्यशाली हैं कि हम न केवल इसके साक्षी हैं बल्कि इस बदलाव के सहभागी भी हैं।’’

अयोध्या में चल रहे राम मंदिर के निर्माण का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि देश की जनता के दिलों में बसने वाले भगवान राम के लिए अयोध्या में जगह तलाशना कभी मुश्किल हो गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘कई पीढ़ियां यह सोचते हुए गजर गईं कि क्या राम मंदिर का निर्माण होगा। लोगों ने हमारा मजाक उड़ाया और इसके निर्माण की तारीख पूछी। सदियों से, भक्तों ने सोचा था कि (अयोध्या में राम मंदिर का) सपना कभी पूरा नहीं होगा, लेकिन यह मोदी का नेतृत्व ही था कि आखिरकार भव्य मंदिर का निर्माण किया जा रहा है।’’

रक्षा मंत्री ने कटाक्ष करते हुए कहा कि एक बार मंदिर निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद, इस तरह के (इसके निर्माण की तारीख के बारे में) सवाल पूछने वालों को इसके उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘यह भारत के लिए गर्व की बात है कि मुस्लिम, यहूदी और पारसी जैसे विभिन्न समुदायों के लोगों को न केवल देश में रहने का, बल्कि इसका अभिन्न अंग बनने का अवसर मिला। इस अखंडता का एक मात्र कारण है भारत की 'वसुधैव कुटुम्बकम' की सांस्कृतिक परंपरा।’’

सिंह ने कहा कि देश के महान संतों ने अलग-अलग भाषाओं और अलग-अलग शब्दों में जो कुछ भी कहा, उसमें सभी मनुष्यों के कल्याण का मूल संदेश निहित है।

सिंह ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां मुसलमानों के सभी 72 संप्रदायों की मौजूदगी देखी जा सकती है।

उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि मुस्लिम देशों में भी सभी 72 संप्रदाय एक साथ नहीं पाये जाते हैं। अगर कोई देश है, जहां वे एक साथ पाये जाते हैं, तो वह भारत है।’’

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