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पश्चिम बंगाल में भाजयुमो रैली के दौरान हुई हिंसा पर कोर्ट ने अपनाया सख्त रुख, दिये ये आदेश

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से कहा कि वह पश्चिम बंगाल में अक्टूबर 2020 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान कथित पुलिस बर्बरता के संबंध में एक शिकायत पर छह महीने के भीतर फैसला करे। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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पश्चिम बंगाल में भाजयुमो रैली के दौरान हुई हिंसा पर कोर्ट ने अपनाया सख्त रुख, दिये ये आदेश

नयी दिल्ली:  दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से कहा कि वह पश्चिम बंगाल में अक्टूबर 2020 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) द्वारा आयोजित एक रैली के दौरान कथित पुलिस बर्बरता के संबंध में एक शिकायत पर छह महीने के भीतर फैसला करे।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह ने कहा कि यद्यपि आयोग मामले में ‘उचित विचार कर रहा है’, लेकिन कार्यवाही को समयबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए, क्योंकि यह घटना 2020 की है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अदालत का निर्देश भारतीय जनता युवा मोर्चा के एक सदस्य रोहित वर्मा की एक याचिका पर आया, जिसने दावा किया है कि उसने पश्चिम बंगाल में आठ अक्टूबर, 2020 को आयोजित शांतिपूर्ण ‘नबन्ना चलो’ रैली में भाग लिया था, लेकिन यह रैली कथित रूप से पुलिस बर्बरता की शिकार बन गयी।

उन्होंने कहा, ‘‘यह रैली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के अप्रभावी, गैर जिम्मेदार, क्रूर, डराने वाले, तानाशाही और हिंसक शासन के खिलाफ एक शांतिपूर्ण विरोध था।’’

एनएचआरसी के वकील ने कहा कि उसने रैली के संबंध में शिकायत का संज्ञान लिया है और ‘स्वतंत्र और तर्कसंगत’ तरीके से इससे निपटने के लिए कानून के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग कर रहा है।

उन्होंने कहा कि आयोग इस तथ्य के प्रति सतर्क है कि उसे लंबित मामलों में तेजी से आदेश देने हैं।

अदालत ने आदेश में “अदालत की राय है कि इस मामले में उचित विचार किया जा रहा है। हालांकि, इस तथ्य पर विचार करते हुए कि यह शिकायत 2020 में हुई एक घटना से संबंधित है, यह निर्देश देना उचित समझा जाता है कि एनएचआरसी इस मामले में छह महीने में अपना अंतिम निर्णय लेगा।’’

इससे पहले, याचिकाकर्ता ने कहा था कि एनएचआरसी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है और वह कानून के तहत उसे दी गई शक्तियों को ‘व्यर्थ जाने’ दे रहा है।

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