भरोसे और पारदर्शिता के लिए जलवायु वित्त की स्पष्ट परिभाषा जरूरी: भारत

भारत ने देशों को जलवायु वित्त की स्पष्ट परिभाषा तैयार करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि स्पष्टता नहीं होने से पारदर्शिता और भरोसे पर असर पड़ता है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 9 December 2023, 10:57 AM IST

दुबई: भारत ने देशों को जलवायु वित्त की स्पष्ट परिभाषा तैयार करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि स्पष्टता नहीं होने से पारदर्शिता और भरोसे पर असर पड़ता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक जलवायु वित्त पर यहां आयोजित वार्षिक संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के दौरान मंत्रिस्तरीय बैठक में पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा, ‘‘मेरा दृढ़ता से यह मानना है कि यही सबसे अहम नतीजा है, जिसके लिए हम सभी को प्रयास करना चाहिए।’’

यादव ने कहा कि जलवायु वित्त की स्पष्ट परिभाषा देशों के बीच पारदर्शिता और भरोसा कायम करने के लिए जरूरी है।

भारत ने जलवायु पर जारी वार्ता में बातचीत के जरिए नतीजे पर पहुंचने की जरूरत पर जोर दिया साथ ही अनुकूलन के वैश्विक लक्ष्य को समर्थन दिया है।

सूत्रों ने कहा कि महत्वाकांक्षी परिणाम पाने के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट होने के बावजूद भारतीय प्रतिनिधियों ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसी महत्वाकांक्षा ‘‘राष्ट्रीय स्तर पर समानता और व्यवहार्यता के सिद्धांतों’’ पर आधारित होनी चाहिए।

इस बीच यूरोपीय आयोग ने शुक्रवार को कहा कि सीबीएएम का एकमात्र उद्देश्य - कार्बन रिसाव को रोकना है। यह कार्बन कर (एक तरह का आयात शुल्क) है जो यूरोपीय संघ भारत और चीन जैसे देशों के ऊर्जा की ज्यादा खपत वाली वस्तुओं पर लगाने की योजना बना रहा है।

यूरोपीय अयोग के आयुक्त वोपके होकेस्ट्रा ने संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।

वहीं, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने उद्योग मंडल के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘भारत सीबीएएम (कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म) का मुद्दा उठाएगा और हम इसका समाधान निकालेंगे। हम देखेंगे कि अगर सीबीएएम आता है तो हम इससे अपना फायदा कैसे निकाल सकते हैं। बेशक, मैं जवाबी कार्रवाई करूंगा। आपको इसके बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।’’

 

Published : 
  • 9 December 2023, 10:57 AM IST

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