CJI DY Chandrachud: सीजेआई चंद्रचूड़ बोले- कम प्रतिनिधित्व वाली आबादी की न्यायिक जरूरतों को पूरा करना जरूरी

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय तक पहुंच केवल जन-समर्थक न्यायशास्त्र तैयार करके हासिल नहीं की जा सकती, बल्कि बुनियादी ढांचे में सुधार और कानूनी सहायता सेवाओं को बढ़ाने जैसे अदालत के प्रशासनिक पक्ष में भी सक्रिय प्रगति की आवश्यकता है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 27 November 2023, 6:54 PM IST

नयी दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय तक पहुंच केवल जन-समर्थक न्यायशास्त्र तैयार करके हासिल नहीं की जा सकती, बल्कि बुनियादी ढांचे में सुधार और कानूनी सहायता सेवाओं को बढ़ाने जैसे अदालत के प्रशासनिक पक्ष में भी सक्रिय प्रगति की आवश्यकता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा) द्वारा यहां ‘कानूनी सहायता तक पहुंच’ विषय पर आयोजित पहले क्षेत्रीय सम्मेलन में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायाधीशों के लिए चुनौती व्यक्तिगत मामले के तथ्यों में न्याय करना नहीं है, बल्कि प्रक्रियाओं को संस्थागत बनाने और चीजों को तात्कलिकता से परे देखने की है।

उन्होंने कहा, 'न्याय तक पहुंच कोई ऐसा अधिकार नहीं है जिसे केवल हमारे फैसलों में जन-समर्थक न्यायशास्त्र तैयार करके हासिल किया जा सकता है, बल्कि इसके लिए अदालत के प्रशासनिक पक्ष में भी सक्रिय प्रगति की आवश्यकता है।'

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा कि मानवाधिकारों और न्याय तक पहुंच के बारे में चर्चा पर ऐतिहासिक रूप से वैश्विक उत्तर (औद्योगिक देशों) की आवाजों का एकाधिकार रहा है, जो इस तरह के संवादों को अनुपयुक्त बनाता है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में कम प्रतिनिधित्व वाली आबादी की न्याय संबंधी जरूरतों को पूरा करना आवश्यक है।’’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय की अवधारणा को ऐतिहासिक रूप से केवल एक संप्रभु देश की सीमा के भीतर ही लागू माना गया है।

सीजेआई ने कहा, ‘‘वर्तमान युग में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के जटिल जाल को देखते हुए, न्याय की हमारी अवधारणाएं भी बदल गई हैं। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में, सभी देशों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जाता। हालांकि, कुछ राष्ट्र एकजुटता और अपनेपन की भावना साझा करते हैं। यहीं पर श्रेणियों का निर्माण हुआ है जैसे कि वैश्विक दक्षिण सहयोग, संवाद और विचार-विमर्श का महत्वपूर्ण बिंदु बन गया है।’’

उन्होंने कहा, 'कानून और प्रक्रिया की जटिलताएं, आम लोगों और शक्तिशाली विरोधियों के बीच असमानता, न्यायिक देरी और यह विश्वास कि प्रणाली हाशिए पर रहने वाले समुदायों के खिलाफ काम करती है, न्याय के रास्ते में आने वाली विभिन्न बाधाओं में से हैं।'

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि सीजेआई के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने न्याय तक पहुंच के लिए कई पहल की हैं और न्याय तक पहुंच में सबसे शक्तिशाली उपकरण प्रौद्योगिकी है।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जी20 शेरपा अमिताभ कांत, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश एसके कौल और संजीव खन्ना और अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने भी विचार व्यक्त किए।

Published : 
  • 27 November 2023, 6:54 PM IST

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