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Cauvery Water Dispute: सीएम सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री ने की जलशक्ति मंत्री से की मुलाकात, जानिए क्या रहा नतीजा

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को यहां केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात की तथा तमिलनाडु को प्रतिदिन 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने संबंधी कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के आदेश का अनुपालन करने में राज्य की अक्षमता से अवगत कराया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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Cauvery Water Dispute: सीएम सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री ने की जलशक्ति मंत्री से की मुलाकात, जानिए क्या रहा नतीजा

नयी दिल्ली: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने बृहस्पतिवार को यहां केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात की तथा तमिलनाडु को प्रतिदिन 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने संबंधी कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के आदेश का अनुपालन करने में राज्य की अक्षमता से अवगत कराया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कावेरी का पानी तमिलनाडु को छोड़े जाने के खिलाफ किसान संगठनों के प्रदर्शन के मद्देनजर यह मुलाकात हुई।

इस बीच, उच्चतम न्यायालय ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) एवं कावेरी जल नियमन समिति द्वारा तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक पानी देने के बारे में कर्नाटक सरकार को दिए गए आदेशों के संदर्भ में बृहस्पतिवार को हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

बैठक के दौरान उप मुख्यमंत्री कुमार ने राज्यों–कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी की एक बैठक बुलाकर इस विषय को हल करने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हस्तक्षेप की भी मांग की।

केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे, भगवंत खुबा और ए नारायणसामी बैठक में मौजूद थे।

शिवकुमार ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘बैठक के दौरान, मंत्रियों को बताया गया कि पड़ोसी राज्य को पानी छोड़ने के खिलाफ किसान और विभिन्न संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं।’’

मानसून की बारिश की कमी के चलते कर्नाटक जल संकट का सामना कर रहा है।

शिवकुमार ने कहा कि राज्य सरकार प्राधिकरण के पूर्व के आदेशों का पालन करेगी, लेकिन 18 सितंबर को जारी किये गये आदेश का पालन करना संभव नहीं है।

उन्होंने कहा कि फिर भी राज्य सरकार पड़ोसी राज्य को प्रतिदिन 4,000 क्यूसेक पानी छोड़ रही है।

राज्य सरकार ने बुधवार को कर्नाटक के सभी सांसदों के साथ बैठक की थी और इस मुद्दे पर उनका समर्थन मांगा था।

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