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भागीरथी प्रय़ास: देश की 165 किलोमीटर लंबी इस पवित्र नदी में अब बहेगा साफ पानी

पंजाब में 165 किलोमीटर लंबी पवित्र काली बेईं नदी को साफ करने का मिशन करीब 23 साल पहले नामुमकिन लग रहा था लेकिन यह अब जल्द ही हकीकत बनने जा रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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भागीरथी प्रय़ास: देश की 165 किलोमीटर लंबी इस पवित्र नदी में अब बहेगा साफ पानी

कपूरथला: पंजाब में 165 किलोमीटर लंबी पवित्र काली बेईं नदी को साफ करने का मिशन करीब 23 साल पहले नामुमकिन लग रहा था लेकिन यह अब जल्द ही हकीकत बनने जा रहा है।

पर्यावरणविद और सांसद बलबीर सिंह सीचेवाल ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरुनाक देव के जीवन से जुड़ी नदी को साफ करने का 90 फीसदी काम पूरा चुका है और नवंबर तक इसमें साफ जल का प्रवाह होगा।

साल 2000 में सीचेवाल की ओर से शुरू किए गए नदी पुनरुद्धार मिशन से पहले यह नदी एक नाले में तब्दील हो चुकी थी और शहरों तथा गांवों का अपशिष्ट पानी इसमें छोड़ा जा रहा था।

सिखों का मानना है कि गुरु नानक देव काली बेईं के तट पर सुल्तानपुर लोधी में 14 साल तक रहे और इस नदी में स्नान करने के बाद उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ।

यह 165 किलोमीटर लंबी नदी होशियारपुर जिले में धनोआ गांव से निकलती है और कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी में फत्तेवाल गांव के पास ब्यास नदी में मिलती है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार राज्य में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) से राज्यसभा सदस्य सीचेवाल ने कहा कि नदी के पुनरुद्धार का काम करीब-करीब पूरा हो चुका है।

उन्होंने कहा कि आठ गांवों- होशियारपुर जिले के परोज, प्रेमपुर, तलवंडी, दादियां और हमीरपुर तथा कूपरथला के चनचाक, डोगरावाल, नानकपुर और सैदो भुलाना से सीवर के पानी को नदी में जाने से रोकने पर काम किया जा रहा है।

दसूया, टांडा, भोलाथ, बेगोवाल, सुल्तानपुर लोधी और कपूरथला में पवित्र नदी में गंदे पानी के प्रवाह को रोकने के लिए छह जलमल शोधन संयंत्र (एसटीपी) लगाए गए हैं। सैदो भुलाना में एसटीपी लगाने का कार्य प्रगति पर है।

सीचेवाल ने लोगों के सहयोग से नदी की सफाई का अभियान शुरू किया था। उनके प्रयासों को व्यापक रूप से मान्यता मिली और दिवंगत राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उनकी सराहना की थी तथा 2006 में उनके काम को देखने के लिए यहां उनके गांव का दौरा किया था।

पहले काली बेईं के किनारे बसे 47 गांवों का गंदा पानी इसमें बह रहा था। 'सीचेवाल मॉडल' की मदद से 39 गांवों के गंदे तालाबों को शोधित किया गया है।

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