आजमगढ़: दुर्गा पूजा और दशहरे के अवसर पर कटरा मुहल्ले में मनमोहक झांकी निकाली गयी। इस झांकी में भगवान शिव ने हाथी का सिर लगाकर भगवान गणेश को जीवित कर दिया। यह दृश्य देखकर लोगों ने जमकर तालियां बजाई।
इस नाटक में दिखाया गया कि एक बार शिवजी के गण नंदी ने देवी पार्वती की आज्ञा पालन में त्रुटि कर दी थी। इससे नाराज देवी ने अपने शरीर के उबटन से एक बालक का निर्माण कर उसमें प्राण डाल दिए और कहा कि तुम मेरे पुत्र हो। तुम मेरी ही आज्ञा का पालन करना किसी और की नहीं। देवी पार्वती ने यह भी कहा कि मैं स्नान के लिए जा रही हूं। ध्यान रखना कोई भी अंदर न आने पाए। थोड़ी देर बाद वहां भगवान शंकर आए और देवी पार्वती के भवन में जाने लगे।
यह देखकर उस बालक ने विनयपूर्वक उन्हें रोकने का प्रयास किया। बालक का हठ देखकर भगवान शंकर क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से उस बालक का सिर काट दिया। देवी पार्वती ने जब यह देखा तो वे बहुत क्रोधित हो गई। उनकी क्रोध की अग्नि से सृष्टि में हाहाकार मच गया। तब सभी देवताओं ने मिलकर उनकी स्तुति की और बालक को पुनर्जीवित करने के लिए कहा।तब भगवान शंकर के कहने पर विष्णुजी एक हाथी का सिर काटकर लाए और वह सिर उन्होंने उस बालक के धड़ पर रखकर उसे जीवित कर दिया।