Asian Games: मानसिक अनुकूलन कोच को लाना भारतीय महिला हॉकी टीम के लिये रहा ‘मास्टर स्ट्रोक’

एशियाई खेलों में नाकामी के बाद अमेरिकी मनोवैज्ञानिक और मानसिक अनुकूलन कोच पीटर हारबर्ल को लाना मौजूदा एफआईएच ओलंपिक क्वालीफायर में भारतीय महिला हॉकी टीम के लिये ‘मास्टर स्ट्रोक’ साबित हुआ । पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 17 January 2024, 6:30 PM IST

रांची:  एशियाई खेलों में नाकामी के बाद अमेरिकी मनोवैज्ञानिक और मानसिक अनुकूलन कोच पीटर हारबर्ल को लाना मौजूदा एफआईएच ओलंपिक क्वालीफायर में भारतीय महिला हॉकी टीम के लिये ‘मास्टर स्ट्रोक’ साबित हुआ ।

अमेरिका के कोलोराडो स्प्रिंग्स के रहने वाले हारबर्ल पिछले साल अक्तूबर से भारत की मुख्य कोच यानेके शॉपमैन के साथ काम कर रहे हैं ।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक भारतीय कप्तान सविता ने जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल से एक दिन पहले कहा ,‘‘ उनके आने से काफी मदद मिली । हमने एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी के दौरान अनुभव किया कि उनके सत्रों से कितना फायदा मिल रहा है । टीम के रूप में भी और व्यक्तिगत स्तर पर भी ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ एशियाई खेलों में हम काफी सकारात्मक सोच के साथ गए थे और वहीं से हमें पेरिस ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर लेना चाहिये था । मौका भी था । टीम में कई सीनियर और जूनियर खिलाड़ी हैं । जब आप कुछ अपेक्षा करें और वह पूरी ना हो तो निराशा होती ही है ।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ एशियाई खेलों के बाद पीटर ने खिलाड़ियों में सकारात्मकता भरने पर काफी काम किया । हमें जब भी उनकी जरूरत होती , वह आनलाइन बातचीत के लिये उपलब्ध थे । वह काफी शांत रहते हैं । वह हमेशा कहते हैं कि जीवन रूकता नहीं है, चलता रहता है और हमने उनसे यही सीखा है ।’’

पेशेवर आइस हॉकी खिलाड़ी रहे हारबर्ल ने 1996 से 2006 के बीच अमेरिकी महिला आइस हॉकी टीम को बतौर खेल मनोविज्ञान सलाहकार अपनी सेवायें दी । वह 2001 से 2005 के बीच अमेरिकी ओलंपिक समिति के साथ भी काम करते रहे और 2005 से 2023 तक अमेरिकी ओलंपिक और पैरालम्पिक समिति के सीनियर खेल मनोवैज्ञानिक रहे ।

भारत की कोच शॉपमैन ने कहा ,‘‘ एफआईएच क्वालीफायर में अमेरिका से पहला मैच हारने के बाद खिलाड़ियों की बैठक हुई । उसके बाद मैने पीटर से बात की और उसने मुझे रणनीति बताई । उसे इस बदलाव का श्रेय जाता है ।मानसिक स्वास्थ्य काफी महत्वपूर्ण है और चुनौतियों , संघर्षों से उबरना आसान नहीं होता । खेल में मैदान के भीतर और बाहर आप जो कुछ भी सीखते हैं, वह पूरी जिंदगी आपके साथ रहता है ।’’

 

Published : 
  • 17 January 2024, 6:30 PM IST