बड़ी ख़बर: महराजगंज जिले के विवादित KMC हास्पिटल पर दर्ज हुई एक और FIR

डीएन ब्यूरो

महराजगंज जिले के महुअवाँ में स्थित केएमसी हास्पिटल एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गया है। कोर्ट के आदेश पर हास्पिटल के ख़िलाफ़ संगीन धारा 304ए के तहत FIR पंजीकृत हुई है। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

केएमसी हास्पिटल फिर विवादों में
केएमसी हास्पिटल फिर विवादों में


महराजगंज: शहर के महुअवाँ स्थित केएमसी हास्पिटल फिर एक बार विवादों के केंद्र में आ गया है। केएमसी हास्पिटल के खिलाफ एक और एफआईआर दर्ज की गई है। सबसे बड़ी बात यह है इस बार एफआईआर कोर्ट के आदेश पर हुई है, जिसके बाद हास्पिटल के ख़िलाफ़ संगीन धारा 304ए के तहत एफआईआर पंजीकृत की गई। यह अस्पताल की लापरवाही के कारण महिला मरीज की मौत से जुड़ा गंभीर मामला है और अस्पताल के बड़े रसूख के चलते शिकायकर्ता को इस मामले में एक साल तक दर-दर की ठोकर खानी पड़ी लेकिन पुलिस ने FIR दर्ज नहीं की।

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महराजगंज जनपद के न्यायिक मजिस्ट्रेट, फरेंदा की अदालत ने केएमसी हास्पिटल महुउवा के खिलाफ पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। जिस मामले में यह एफआईआर दर्ज की गई है, वह लगभग एक साल पुराना है। मामले को लेकर पीड़ित परिवार पुलिस के कई चक्कर काटता रहा लेकिन अपेक्षित कार्रवाई न होने पर उसे अदालत की शरण में जाना पड़ा, जिसके बाद कोर्ट ने पीड़ित के पक्ष में फैसला देते हुए पुलिस को तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। 

न्यायलय ने शिकायतकर्ता राजाराम पुत्र स्व. बुद्धेश, निवासी गैरइया, बनकटा, थाना कैम्पियरगंज, गोरखपुर की शिकायत पर सुनवाई करने के बाद केएमसी हास्पिटल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।

शिकायतकर्ता राजाराम ने बताया कि उन्होंने पिछले साल 6 अक्टूबर सुबह 9 बजे अपनी बहू श्रीमती कमलादेवी (28) पत्नी अजय को प्रसव कराने के उद्देश्य से धानी के अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने शाम 7.15 बजे ऑपरेशन के जरिये प्रसव की बात कही लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही के कारण ऑपरेशन के बाद कमलादेवी की ब्लीडिंग बंद नहीं हुई। जिसके बाद इस अस्पताल के डॉक्टरों ने कमलादेवी को केएमसी हास्पिटल महुउवा के लिये  लिखित रूप में रैफर किया। 

शिकायतकर्ता के मुताबिक केएमसी हास्पिटल महुउवा ने पिछले अस्पताल से भी ज्यादा लापरवाही बरतीं और मरीज के परिजनों को कमलादेवी की ब्लीडिंग रोकने के लिये एक और ऑपरेशन करने को कहा। इस ऑपरेशन के एवज में केएमसी हास्पिटल ने पीड़ित परिजनों को तत्काल 45 हजार रूपये जमा कराने को भी कहा। मरता क्या न करता की तर्ज पर पीडिता के परिजनों ने पैसे जमा कराये।

 

ऑपरेशन के दौरान अस्पताल की घोर लापरवाही के कारण कमलादेवी (28) पत्नी अजय की मौत हो गई। कमलादेवी की मौत के बावजूद भी अस्पताल कई देर तक तथ्यों को छुपाता रहा। 

शिकायतकर्ता ने कोर्ट को यह भी बताया कि उसने पुलिस से मामले की कई बार शिकायत की लेकिन पुलिस ने अस्पताल के रसूख के कारण न तो मामला दर्ज किया और न ही उसकी शिकायत को गंभीरता से लिया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि केएमसी अस्पताल समेत उसके मालिकों और डॉक्टरों की पहुंच के कारण उसे इंसाफ के लिये एक साल तक भटकना पड़ा और विवश होकर कोर्ट की शरण लेनी पड़ी।   

सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस मामले में शिकायतकर्ता राजाराम ने पहले पुलिस से कई बार अस्पताल के खिलाफ मामला दर्ज करने और कार्रवाई करने की गुहार लगाई थी लेकिन पुलिस द्वारा मामले में अपेक्षित कार्रवाई न होने पर शिकायतकर्ता को न्यायालय की शरण में जाना पड़ा। 

अब ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस मामले में पुलिस अब बिना अस्पताल के दबाव के केएमसी हास्पिटल के ख़िलाफ़ दर्ज FIR में विवेचना निष्पक्ष तरीक़े से करेगी या फिर लीपापोती कर देगी?










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