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रेलवे के निजीकरण की कोई योजना नहीं: भारत में 4जी/5जी तकनीक तैयार

दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि भारत ने अपनी स्वदेशी 4जी/5जी तकनीक से अपनी ताकत साबित कर दी है और अब भारत आने वाले तीन वर्षों में दुनिया के लिए दूरसंचार प्रौद्योगिकी के प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरने के लिए तैयार है।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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रेलवे के निजीकरण की कोई योजना नहीं: भारत में 4जी/5जी तकनीक तैयार

नयी दिल्ली: दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि भारत ने अपनी स्वदेशी 4जी/5जी तकनीक से अपनी ताकत साबित कर दी है और अब भारत आने वाले तीन वर्षों में दुनिया के लिए दूरसंचार प्रौद्योगिकी के प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरने के लिए तैयार है।

इसके साथ ही वैष्णव ने कहा कि रेलवे के निजीकरण की कोई योजना नहीं है। वह दूरसंचार के साथ रेल मंत्री भी हैं।

वैष्णव ने यहां 'इकोनॉमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट 2023' को संबोधित करते हुए कहा कि 5जी सेवाओं की शुरुआत एक अक्टूबर, 2022 को हुई थी और इसके 100 दिन के अंदर यह 200 से ज्यादा शहरों में शुरू हो चुकी है। इस रफ्तार के लिए इसे दुनियाभर के संबद्ध लोगों से प्रशंसा मिल चुकी है और कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे ‘दुनिया में 5जी का सबसे तेज प्रसार’ बताया गया।

वैष्णव ने भुगतान, चिकित्सा और पहचान जैसे विभिन्न मंचों पर भारत में परीक्षण किए जा रहे जनसंख्या-पैमाने के समाधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इनमें से प्रत्येक मंच अपने आप में मजबूत है लेकिन साथ मिलकर ‘यह एक ऐसा बल बनता है जो दुनिया की किसी भी बड़ी समस्या का समाधान कर सकता है।’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मंत्री ने कहा कि भारत अगले तीन साल में दुनिया का दूरसंचार प्रौद्योगिकी निर्यात के तौर पर उभरने वाला है।

वैष्णव ने कहा, “आज भारत की दो कंपनियां दुनिया को निर्यात कर रही हैं.. आगामी तीन सालों में हम भारत को दुनिया में दूरसंचार प्रौद्योगिकी का प्रमुख निर्यातक बनते हुए देखेंगे।”

उन्होंने स्वदेशी 4जी और 5जी प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बात की। उन्होंने कहा, “अब यह तैयार हो चुकी है। शुरुआत में एक साथ 10 लाख कॉल करके परीक्षण किया गया, फिर 50 लाख कॉल करके परीक्षण किया गया और अब इसका परीक्षण एक साथ एक करोड़ कॉल करके किया गया है।”

उन्होंने कहा कि कम से कम 9-10 देश भारत की इस स्वदेशी प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना चाहते हैं।

 

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