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दो महीने तक पृथकवास में रखे गए 12 चीतों को बड़े बाड़ों में छोड़े गया

इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए 12 चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) के बड़े बाड़ों में छोड़ा गया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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दो महीने तक पृथकवास में रखे गए 12 चीतों को बड़े बाड़ों में छोड़े गया

श्योपुर: इस साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीका से भारत लाए गए 12 चीतों को मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) के बड़े बाड़ों में छोड़ा गया है। एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सात नर और पांच मादा चीतों को 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से यहां लाकर केएनपी के पृथकवास के तहत बाड़े में छोड़ा गया था। प्रधान मुख्य वन संरक्षक जे एस चौहान ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि पशुपालन एवं डेयरी विभाग (डीएएचडी) की हरी झंडी के बाद बारह चीतों को बड़े (अनुकूलन) बाड़े में छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश वन विभाग को तीन दिन पहले डीएएचडी से मंजूरी मिली थी।

चौहान ने कहा, 'हमने उन्हें रिहा करना शुरू किया और पिछले तीन दिनों में प्रक्रिया पूरी की।'

उन्होंने कहा कि एक महीने के बाद इन चीतों को जंगल में छोड़ने का फैसला किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चीतों को उनके व्यवहार का अध्ययन करने के बाद पहले जत्थे में दो या तीन की संख्या में चरणबद्ध तरीके से जंगल में मुक्त किया जाएगा।

पिछले साल सितंबर में आठ चीतों की पहली खेप को अफ्रीका के नामीबिया से केएनपी में लाया गया था।

भारत में इन जानवरों के विलुप्त होने के सात दशक बाद देश में फिर से इन्हे बसाने की योजना ‘‘ प्रोजेक्ट चीता ’’ के तहत अंतर महाद्वीपीय स्थानांतरण किया गया। देश के आखिरी चीते की मृत्यु वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में 1947 में हुई थी और इस प्रजाति को 1952 में विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को 17 सितंबर 2022 को केएनपी में छोड़ा। पिछले महीने में नामीबिया से लाई गई पांच वर्षीय मादा चीता साशा की किडनी संबंधी बीमारी से मौत हो गई।

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