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Jammu Kashmir: किश्तवाड़ में क़ुदरत का कहर! 33 की मौत, 120 से ज्यादा घायल; 200 से ज़्यादा लोग अब तक लापता

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के पाडेर इलाके में बुधवार सुबह बादल फटने की घटना सामने आई है। इस भीषण प्राकृतिक आपदा में कई लोगों के हताहत होने की आशंका जताई जा रही है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन दल मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्यों में जुट गए हैं।
Post Published By: Poonam Rajput
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Jammu Kashmir: किश्तवाड़ में क़ुदरत का कहर! 33 की मौत, 120 से ज्यादा घायल; 200 से ज़्यादा लोग अब तक लापता

Kishtwar: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चिशोती गांव में बुधवार सुबह एक भयावह प्राकृतिक आपदा ने दस्तक दी। पदर उपखंड में स्थित यह गांव मचैल माता यात्रा मार्ग पर आता है, जहां अचानक बादल फटने की घटना ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया। घटनास्थल से अब तक 7 शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 12 लोगों की मौत की आशंका जताई जा रही है। प्रशासन अभी तक आधिकारिक पुष्टि से बच रहा है, लेकिन स्थानीय हालात बेहद गंभीर बताए जा रहे हैं।

इस हादसे ने न सिर्फ जानमाल का नुकसान किया है, बल्कि श्रद्धा और परंपरा से जुड़े मचैल यात्रा मार्ग को भी गहरा झटका दिया है। चिशोती में आई अचानक बाढ़ ने कई घरों को अपने चपेट में ले लिया, जिससे भारी तबाही हुई। लकड़ी का पुल और पीएमजीएसवाई द्वारा निर्मित पुल दोनों क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है।

किश्तवाड़ हादसे में अब तक 33 लोगों की मौत, 120 से अधिक घायल

जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बादल फटने और बाढ़ की भयंकर घटना में अब तक 33 लोगों की मौत हो चुकी है। इस आपदा ने पूरे क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया है, जिसमें सीआईएसएफ के दो जवान भी अपनी जान गंवा बैठे हैं। इसके अलावा 120 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य तीव्रता से जारी रखा है और घटना से जुड़ी अन्य जानकारियां जुटाई जा रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किश्तवाड़ की इस दर्दनाक आपदा पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए प्रभावित परिवारों के प्रति दुख प्रकट किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार पूरी तत्परता से स्थिति पर नजर रखे हुए है और राहत एवं बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि जरूरतमंदों को हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

किश्तवाड़ में मौजूदा मौसम की गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस ने पूरे इलाके में कंट्रोल रूम और हेल्प डेस्क सक्रिय कर दिए हैं। सभी सब-डिविजन को हाई अलर्ट पर रखा गया है और आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए विशेष पुलिस टीमें तैनात की गई हैं, जो किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई करेंगी।

स्थानीय प्रशासन का प्रयास है कि प्रभावित लोगों को समय पर राहत पहुंचाई जाए और नुकसान को कम से कम किया जा सके। राहत कार्यों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ समेत अन्य एजेंसियां भी सक्रिय हैं। किश्तवाड़ हादसे की स्थिति पर प्रशासन लगातार नजर बनाए हुए है और जरूरत के अनुसार अतिरिक्त संसाधन मुहैया कराए जा रहे हैं।

जिला प्रशासन ने तेजी से प्रतिक्रिया देते हुए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और सेना की संयुक्त टीमें मौके पर रवाना कर दी हैं। किश्तवाड़ के उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा ने स्वयं स्थिति का जायजा लिया और राहत कार्यों की निगरानी शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि चिशोती मचैल माता यात्रा का प्रारंभिक बिंदु है और यहां भारी जलप्रवाह ने अचानक जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया।

राज्य और केंद्र दोनों स्तरों से इस घटना को गंभीरता से लिया गया है। केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने किश्तवाड़ के उपायुक्त से सीधे संपर्क कर तत्काल राहत की प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया। वहीं जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल कार्यालय ने भी संवेदना व्यक्त करते हुए प्रशासनिक मशीनरी को पूरी तरह सक्रिय कर दिया है।

विपक्ष के नेता और स्थानीय विधायक सुनील कुमार शर्मा भी घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं और बचाव कार्यों की प्रत्यक्ष निगरानी कर रहे हैं। यह त्रासदी सिर्फ एक आपदा नहीं, बल्कि उस भू-भाग की नाजुक भौगोलिक स्थिति और मौसम की अनिश्चितता की एक बड़ी चेतावनी है, जहां श्रद्धा, प्रकृति और जोखिम साथ-साथ चलते हैं।

स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है और प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाने के हरसंभव प्रयास जारी हैं। यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम का एक झटका किस कदर ज़िंदगी और ज़मीन दोनों को हिला सकता है।

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