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China vs India Trade: रेयर अर्थ संकट के बीच मिला भारत को एक नया साझेदार, क्या बदल सकता है इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो सेक्टर का भविष्य?

चीन द्वारा रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर रोक लगाने के बाद भारत को गहरा झटका लगा है। लेकिन अब भारत ने इस संकट का समाधान ढूंढ लिया है। ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत की नई साझेदारी इलेक्ट्रॉनिक और ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए राहत लेकर आई है।
Post Published By: Sapna Srivastava
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China vs India Trade: रेयर अर्थ संकट के बीच मिला भारत को एक नया साझेदार, क्या बदल सकता है इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो सेक्टर का भविष्य?

New Delhi: चीन द्वारा रेयर अर्थ मिनरल्स के शिपमेंट पर रोक लगाने के बाद पूरी दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक और ऑटोमोबाइल सेक्टर में हलचल मच गई है। भारत का शिपमेंट बार-बार रिजेक्ट किए जाने के कारण देश की घरेलू कंपनियों को कच्चे माल की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन अब इस मुश्किल का हल भारत को ऑस्ट्रेलिया के रूप में मिल गया है।

ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स सरकार की व्यापार और निवेश आयुक्त मालिनी दत्त ने हाल ही में भारत एनर्जी स्टोर वीक (IESW) 2025 के दौरान इस बात की पुष्टि की है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया रेयर अर्थ मिनरल्स को लेकर आपसी बातचीत कर रहे हैं। मालिनी ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया में रेयर अर्थ के ब्लॉक्स उपलब्ध हैं और भारत के पास इन्हें हासिल करने का अच्छा मौका है।

ऑस्ट्रेलिया से तांबा आयात

रेयर अर्थ मिनरल्स के साथ-साथ भारत की नजर अब ऑस्ट्रेलिया से तांबा आयात करने पर भी है। भारत के प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर दोनों ने ऑस्ट्रेलिया के तांबे के ब्लॉक्स में दिलचस्पी दिखाई है। मालिनी दत्त ने कहा कि इस क्षेत्र में अडानी जैसी बड़ी कंपनियों ने निवेश किया है और स्मेल्टर की मौजूदगी भारत के लिए इस साझेदारी को और भी प्रभावशाली बना देती है।

भारत और ऑस्ट्रेलिया रेयर अर्थ मिनरल्स डील (सोर्स-गूगल)

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रेयर अर्थ मिनरल्स में 17 प्रकार

रेयर अर्थ मिनरल्स में 17 प्रकार के तत्व होते हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी, चुम्बक और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए बेहद जरूरी होते हैं। हालांकि ये खनिज अन्य देशों में भी मौजूद हैं, लेकिन वहां से आयात करना भारत के लिए महंगा साबित होता है।

चीन की पकड़ और वैश्विक संकट

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, चीन वैश्विक रेयर अर्थ उत्पादन का 61% हिस्सा बनाता है, लेकिन उसका 92% वैश्विक आपूर्ति पर नियंत्रण है। अमेरिका और यूरोप को आंशिक राहत मिलने के बावजूद भारत को अभी तक चीन से कोई राहत नहीं मिली है। गौरतलब है कि चीन ने यह प्रतिबंध अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 146% टैरिफ के जवाब में लगाया था, जिसका प्रभाव भारत समेत अन्य देशों पर भी पड़ा।

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