DN Exclusive: गौमाता के चारा चोर आईएएस अमरनाथ उपाध्याय का आगे का क्या है भविष्य?

जय प्रकाश पाठक

यूपी के सबसे दागी और महाभ्रष्ट आईएएस अफसरों में से एक महराजगंज जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी और 2010 बैच के प्रमोटेड आईएएस का भ्रष्टाचार इन दिनों चारों ओर सुर्खियों में है। डाइनामाइट न्यूज़ पर हम आपको बता रहे हैं इस दागी अफसर की पूरी कुंडली:

जाल में बुरी तरह फंसा चारा चोर अमरनाथ उपाध्याय
जाल में बुरी तरह फंसा चारा चोर अमरनाथ उपाध्याय


लखनऊ/महराजगंज: केन्द्र से लेकर प्रदेश में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और खुद सीएम योगी आदित्यनाथ के सबसे खास एजेंडे गौरक्षा के अभियान में भी यदि कोई अफसर सरकारी धन लूटने की हिमाकत करे तो वाकई यह अफसर कितना मनबढ़ होगा इसका कोई भी सहज अंदाजा लगा सकता है।

आज हम एक ऐसे ही प्रमोटेड आईएएस के कुंडली को खंगाल रहे हैं, जिसे जान आप हैरान रह जायेंगे। बिहार के गोपालगंज के मूल निवासी अमरनाथ उपाध्याय 1994 बैच के पीसीएस अफसर हैं। ये जहां रहे वहां जबरदस्त विवादित रहे। जब ये महराजगंज जिले के नौतनवा तहसील में बतौर एसडीएम तैनात थे तो इन पर लेखपालों से दस और बीस रुपये की सब्जियां मंगवाने का आरोप लगता था। 

विवादों से भरा रहा है अतीत

इलाहाबाद विकास प्राधिकरण में सचिव के रुप में तैनाती हुई तो इनके भ्रष्टाचार से तंग आकर भरी कचहरी में वकीलों ने इनकी लात-जूतों और घूसों से जमकर पिटाई कर इन्हें बुरी तरह चोटिल कर डाला।

पीसीएस से प्रमोशन पाकर इन्हें 2 जून 2016 को आईएएस के रुप में प्रमोट किया गया। इन्हें यूपी कैडर और बैच 2010 अलॉट हुआ। 

जुगाड़ के दम पर इन्हें पहली बार बतौर डीएम महराजगंज जिले का चार्ज 16 मार्च 2018 को मिला। ये यहां पर 14 अक्टूबर 2019 तक तैनात रहे। बगल के सीमावर्ती इलाके गोपालगंज के मूल निवासी अमरनाथ भारत-नेपाल सीमा पर स्थित महराजगंज जिले से काफी पहले से भली-भांति वाकिफ थे, वजह ये इसी जिले में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बतौर एसडीएम तैनात रहे। 

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डीएम के रुप में महराजगंज जिले में कार्यभार संभालते ही इनकी आंखों में एक अजब सी चमक छा गयी। इन्होंने दोनों हाथों से लूट-खसोट का ऐसा खेल खेला कि अच्छे-अच्छे इनके आगे पानी मांगने लगे। लोगों का कहना है कि इनके डीएम के कार्यकाल के दौरान कलेक्ट्रेट के इनके कार्यालय में दिन भर दलालों का जमावड़ा लगा रहता था। इन दलालों के माध्यम से अमरनाथ अपना खेल खेलते थे। जब हर तरह के कांड को अंजाम देने के बाद भी इनके पेट की हवस शांत नहीं हुई तो इन्होंने सीधे गौमाता के चारे और 328 एकड़ बेशकीमती जमीनों पर डकैती डाल दी। 

आगे का जीवन कटेगा जांच एजेंसियों के आगे

क्या है मधवलिया गो-सदन का आरोप
डाइनामाइट न्यूज़ की टीम ने जब महराजगंज जिले के मधवलिया गो-सदन से जुड़े दस्तावेजों को खंगाला तो हैरान करने वाली जानकारी निकलकर सामने आयी। 18 अप्रैल 1969 को मधवलिया गो सदन का स्थापना हुई। उस समय 711 एकड़ बेशकीमती भूमि गो-सदन को वन विभाग से देने का आदेश हुआ। प्रबंध कार्यकारिणी समिति के रुप में मधवलिया गो सदन का पंजीकरण 2 मई 2006 को हुआ। तबसे लेकर सब कुछ सामान्य चल रहा था लेकिन इसी बीच 5 फरवरी 2019 को पुराने प्रबंधन के सदस्यों ईश्वर बाबू पटवारी, विमल कुमार पांडेय, जितेन्द्र पाल सिंह आदि को सदस्यता समाप्त कर निकाल दिया गया। इसके साथ ही रोकड़ पुस्तिका, लेजर, बैंक के चेकबुक, खातों आदि सारे कामकाज की बागडोर अमरनाथ के नेतृत्व में निचलौल के एसडीएम से लेकर पशुधन विभाग के अफसरों के हाथ में आ गयी। 

इसी बीच नगर निगम गोरखपुर ने मधवलिया गो सदन में पांच शेड के निर्माण के लिए एक करोड़ 80 लाख रुपये दिया। 

योगी जब सांसद होते थे तब गाहे-बेगाहे इस गोसदन में आते रहते थे, लिहाजा यहां अमरनाथ के पाप की शिकायतें सीएम तक लोगों ने पहुंचानी शुरु की। जिसके बाद मुख्यमंत्री ने गोरखपुर के मंडलायुक्त को इसकी जांच चार सदस्यीय कमेटी से कराकर रिपोर्ट देने को कहा। इस कमेटी का नेतृत्व गोरखपुर मंडल के अपर आय़ुक्त प्रशासन अजय कांत सैनी ने किया। जबकि इनके साथ टीम में गोरखपुर के अपर जिलाधिकारी, गोऱखपुर मंडल के अर्थ एवं संख्या विभाग के उप निदेशक, पशुपालन विभाग गोरखपुर के अपर निदेशक शामिल रहे।

जाड़े में अफसरों के माथे से टपका पसीना 
जब ये जांच टीम मधवलिया गो सदन पहुंची और दस्तावेजों को खंगाला तो जानकर हैरान रह गये कि यहां तो सरकारी धन की अमरनाथ सिर्फ लूट नहीं करा रहे हैं यहां तो सीधे-सीधे डकैती डाली जा रही है। 12 अक्टूबर 2019 को रजिस्टर में गोवंश की संख्या 2538 अंकित थी लेकिन मौके पर भौतिक सत्यापन में मात्र 954 गोवंश मिले। शेष 1584 गोवंशों को अमरनाथ ने किसके हाथों बेच दिया? इन्हें धरती खा गयी या आसमान निगल गया, इसका कोई जवाब मौके पर मौजूद अफसर नहीं दे पाये। अक्टूबर के भरे जाड़े में कमेटी के सवालों पर भ्रष्ट अफसरों के माथे से पसीना टपकने लगा। 

पहला बड़ा आरोप
हैरान करने वाली बात थी कि जब हकीकत में मौके पर 1584 गोवंश हैं ही नहीं तो इनके नाम पर आने वाला चारा-दाना-पानी-भूसा-चोकर-खली-गुड़-नमक,राइस ब्रान आदि का धन क्यों अमरनाथ अपने पेट की हवस शांत करने को डकार जा रहे हैं। ये पहला आरोप था जो कमेटी की जांच में प्रमाणित हुआ। 

दूसरा बड़ा आरोप 
गोसदन की बेशकीमती 328 एकड़ जमीन को विधिक प्रक्रिया का पालन किये बिना मनमाने तरीके से घूसखोरी कर अमरनाथ ने अपने चहेतों को कौड़ियों के मोल बांट दी। 

निलंबन
इन दोनों आरोपों को जांच में सच पाने के बाद सीएम ने सीधे अमरनाथ समेत सात अफसरों को निलंबित कर दिमाग ठिकाने लगा दिया। अमूमन जब किसी आईएएस का निलंबन होता है कि उसकी प्रेस वार्ता नहीं की जाती, सिर्फ मीडिया को प्रेसनोट जारी कर सूचना दे दी जाती है लेकिन इस मामले में सीएम के निर्देश पर खुद मुख्य सचिव ने लखनऊ के लोकभवन में प्रेस वार्ता की और निलंबन की जानकारी दी।

30 साल के इतिहास में किसी डीएम के निलंबन का सिर्फ दूसरा मामला
सामान्य तौर पर किसी आईएएस को निलंबित नहीं किया जाता, गलती मिलने पर ज्यादा से ज्यादा तबादला कर दिया जाता है। महराजगंज जिले के इतिहास को जब खंगाला गया तो पता चला कि 2 अक्टूबर 1989 को जिले के गठन के बाद आज तक के तीस साल के इतिहास में अमरनाथ मात्र दूसरे डीएम हैं, जिन्हें निलंबित किया गया। इससे पहले 1995 में मायावती ने जिले के डीएम को निलंबित किया था लेकिन उन्हें चंद दिनों में बहाल कर दिया गया था। 

अमरनाथ का मामला जुदा है। ये 14 अक्टूबर 2019 से लेकर 1 जून 2020 तक साढ़े सात महीने की बेहद लंबी अवधि तक निलंबन की काल-कोठरी में सड़ते रहे, शायद भूख और प्यास से बिलबिलाती गौ-माता की बददुआ इसे लगी। इन साढ़े सात महीने के निलंबन कारावास की अवधि में अमरनाथ ने हर दर पर नाक रगड़ा कि कोई तो मदद कर दे लेकिन कोई घड़ियाली आंसू काम नहीं आय़ा। 

तीन-तीन जांच में प्रमाणित हुआ अमरनाथ का पाप
सीएम ने गोरखपुर के मंडलायुक्त की जांच के बाद एक औऱ विस्तृत जांच प्रमुख सचिव स्तर के आईएएस के. रविन्द्र नायक के नेतृत्व में बैठा दी। नायक लखनऊ से महराजगंज पहुंचे, इस जांच में भी अमरनाथ के पाप कांड पर एक बार और मुहर लगी। पशुधन विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव बाबूलाल मीणा के अभिमत में भी अमरनाथ गौमाता का चारा चोर निकला। 

घबराया अमरनाथ 
इसके पाप कांड को देश की राजधानी नई दिल्ली से चलने वाले अंग्रेजी व हिंदी भाषा के राष्ट्रीय न्यूज़ पोर्टल डाइनामाइट न्यूज़ ने बेहद प्रमुखता से उठाया है। लगातार होते भंडाफोड़ से यह घबरा उठा और एक दिन लखनऊ के लोकभवन की पांचवी मंजिल पर डाइनामाइट न्यूज़ से हुई मुलाकात में अपनी गलतियों पर प्रायश्चित करते हुए इसे अपनी बड़ी भूल और प्रारब्ध बताने लगा। इसने कहा कि महराजगंज में तो मैं मोहरा बना रहा हकीकत में सारे पाप के पीछे यहां के दो सफेदपोश नेता हैं। 

नेताओं के हाथों हुआ इस्तेमाल
अमरनाथ इन सारी बातों से अंजान था कि कैसे जिले के दो सफेदपोश नेता इसका इस्तेमाल एक के बाद एक कांड में कर रहे हैं, इन नेताओं ने इसे इस मुगालते में रखा कि आप हमारे कहे अनुसार हर उल्टे-सीधे काम करो, आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा। अमरनाथ यहीं चूक कर बैठा, जिले के दो सफेदपोश नेताओं के बहकावे में आकर, वह यह नहीं समझ पाया कि इन सफेदपोशों की इतनी भी हिम्मत नहीं कि ये सीएम तो बहुत दूर उनके कार्यालय से भी अपने व्यक्तिगत हित में कोई फोन करा लें तो फिर ये किसी दूसरे का क्या भला करेंगे?

सफेदपोश नेताओं की खुली पोल
इसकी पोल इसी से खुल गयी कि अमरनाथ लगातार साढ़े सात महीने तक निलंबित रहा। यदि इन नेताओं में थोड़ा भी दम होता तो अमरनाथ निलंबित ही नहीं होता और यदि हुआ तो 15-20 दिन में बहाल हो जाता, जैसे अन्य अफसर होते हैं लेकिन वो कहावत है ना.. अब पछतावे का होत जब चिड़िया चुग गई खेत 

रात के अंधेरे में भागा जिला छोड़ अमरनाथ 
निलंबन की खबर पाने के बाद अमरनाथ दो इनोवा कारों में सवार होकर 15 अक्टूबर की अलसुबह महराजगंज में बिना किसी से आंख मिलाये अंधेरे में जिला छोड़ फरार हो गया। इसमें इतना भी नैतिक साहस नहीं बचा था कि डेढ़ साल तक जिले में तैनात रहा यह शख्स अपना विदाई समारोह आयोजित करा लेता, जैसा अमूमन हर अफसर के जाने की बेला पर होता है। 

अब आगे क्या होगा
हर कोई अब यह जानना चाहता है आगे अमरनाथ का क्या होगा? अमरनाथ के कार्यकाल के दौरान इसके पाप में साझीदार इसके गुर्गों ने बहाली के बाद इसके इशारे पर यह झूठी अफवाह फैलानी शुरु कर दी कि अमरनाथ पर लगे सारे आरोप झूठे साबित हो गये हैं और ये बेदाग बरी हो गये हैं। इसकी तहकीकात जब डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता ने लखनऊ के लोकभवन में राज्य के आला नौकरशाहों से हकीकत पूछकर की तो इन वरिष्ठ अफसरों ने बताया कि अमरनाथ के खिलाफ लगे आरोपों की विधिवत जांच अभी चल रही है। इन्हें किसी भी आरोप से दोष मुक्त नहीं किया गया है। 6 महीने से अधिक किसी को निलंबित नहीं रखा जा सकता, इसी तकनीकी वजह से अमरनाथ को फिलहाल एक बार के लिए बहाल किया गया है न कि हमेशा के लिए। अमरनाथ के खिलाफ समस्त प्रकार की DP (Departmental Proceedings) विभागीय कार्यवाही प्रचलित है और अभी मधवलिया गो सदन मामले में अमरनाथ का अभिमत आना बाकी है। इसके बाद शासन स्तर पर सम्यक् निर्णय होगा कि क्या इसके खिलाफ आपराधिक गतिविधियों और वित्तीय अनियमितता का एफआईआर दर्ज करायी जानी है, क्या इसे दोबारा निलंबित किया जाये या फिर दोनों करते हुए इसे जेल की सलाखों के पीछे डाला जाय। 

 

आय से अधिक संपत्ति मामले में फंसे 

मधवलिया गो सदन के मामले के अलावा रिटायरमेंट की बेला पर खड़े अमरनाथ के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय, प्रवर्तन निदेशालय और केन्द्रीय सतर्कता आयोग से जांचें चल रही हैं। इनमें दोषी मिलने पर अमरनाथ का जेल जाना उतना ही तय है जैसे पूरब से सर्योदय।

कुर्सी के अहंकार में अंजाम दिया कई कांडों को 

महराजगंज के डीएम रहते हुए अमरनाथ ने कई और भयानक कांडों को अपने कुर्सी के अहंकार में अंजाम दिया, इन मामलों में नई दिल्ली और लखनऊ की तीन अलग-अलग जांचों में इसके पाप साबित हो चुके हैं। इनमें इसे बड़ी सजा मिलनी तय है। अब हर कोई यही जानना चाहता है कि अमरनाथ के जेल की सलाखों के पीछे जाने का वक्त भगवान ने क्या तय कर रखा है? कुल मिलाकर रिटायरमेंट के बाद भी अमरनाथ की जिंदगी अपने आप को बेगुनाह साबित करने के चक्कर में लखनऊ से दिल्ली तक उठक-बैठक लगाते कटेगी।  

 










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