Lockdown 2: लॉकडाउन में जारी है पलायन का सिलसिला, रेलवे ट्रैक के रास्ते कर रहे हजारों किमी का सफर
कोरोना महामारी देश के लिए एक साथ कई तरह की परेशानी लेकर आया है। कोरोना से बचने के लिए भले ही पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया है, पर इसका सबसे ज्यादा बुरा असर गरीबों और मजदूरों पर पड़ रहा है। जिनके पास ना खाने को कुछ बचा है और ना ही पैसे, ऐसे में उन्हें पैदल ही हजारों किमी का सफर तय करना पड़ रहा है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर..
महराजगंजः एक तरफ जहां कोरोना जैसी वैश्विक महामारी है तो वहीं दूसरी तरफ लॉकडाउन में दूसरी जगहों पर फंसे दिहाड़ी मजदूर के लोग जो प्रतिदिन अपने घरों को पलायन कर रहे हैं। ऐसे में फैजाबाद में बिहार के मजदूरों का राशन जब ख़त्म हुआ तो फैजाबाद से रेलवे ट्रैक के रास्ते बिहार जाने के लिए पैदल ही चल दिए।
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रविवार की सुबह सिसवा रेलवे स्टेशन पर पहुंचे दर्जनों की संख्या में अपने बच्चों के साथ मजदूरों का दर्द छलक पड़ा। बिहार के पश्चिमी चंपारण गौनहा ब्लॉक के ग्राम बजनी निवासी का कहना है कि फैजाबाद के एयरपोर्ट के पास ठेकेदारों द्वारा दिए गए कमरे में रहकर दिहाड़ी मजदूरी करते थे। लॉकडाउन होते ही मजदूरों का काम भी ठप्प हो गया।
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मजदूरों ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि लॉकडाउन के चलते उनके साथ-साथ बच्चों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ गया। लॉकडाउन कब खुलेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। पैसे खत्म होने लगे है। जिसके कारण सभी लोग रेलवे ट्रैक का रास्ते पकड़कर अपने घरों को जाने को विवश हैं। 20 अप्रैल को सुबह 5 बजे वे घर जाने के लिए अपना बैग उठाकर लगभग ढाई सौ किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए पैदल ही निकल पड़े। जहां घुघली में उन्हें कुछ लोगों ने भोजन कराया तो शरीर में जान आई। उसके बाद सभी लोग सिसवा रेलवे स्टेशन पहुंचकर आराम किए, और उसके बाद सभी लोग रेलवे ट्रैक का रास्ता पकड़ लिया।