DN Exclusive महराजगंज: भ्रष्टाचार के चंगुल में अस्पताल, डाइनामाइट न्यूज़ के कैमरे देख भागे दलाल

डीएन संवाददाता

मरीजों का इलाज करने वाला जिला अस्पताल भ्रष्टाचार के कारण खुद ही बीमार पड़ गया है। डॉक्टरों और दलालों की मिलीभगत के कारण मरीजों को यहां कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। पूरी खबर..



महराजगंज: भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे जिला अस्पताल में दलालों के इशारों पर डॉक्टर्स धडल्ले से मरीजों को बाहरी दवा लिख रहे है। बाहरी दवा के लिखकर डॉक्टर्स और दलाल खूब चांदी काट रहे है। मरीज और गरीबों की परेशानियों को नजअंदाज करके अस्पताल प्रशासन नियम-कानूनों की भी खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है।

अस्पताल की मनमानी से पीड़ित मरीजों की शिकायत पर जब डाइनामाइट न्यूज़ इस मामले की पड़ताल करने हॉस्पिटल पहुंचा तो डाइनामाइट न्यूज़ का कैमरा देखकर अस्पताल में डॉक्टरों के पास बैठे दलालो में भगदड़ मच गयी। मौके पर मौजूद दलाल सीढियों से कूद-कूद कर भाग निकले। इस बात से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला अस्पताल में दलाली किस तरह चरम पर जा पहुंची है। अस्पताल में दलालों को रोकने में सीएमएस आरबी राम भी विफल साबित हो रहे हैं।

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अस्पताल के आस-पास बिखरे पड़े मेडिकल व दवाईयों के दलालों अस्पताल को पूरी तरह हाइजैक कर लिए है। अभी नवागत जिलाधिकारी को जिला अस्पताल के डॉक्टरों की इन करतूत की जानकारी नहीं है, यदि ऐसा होता तो अस्पतालों को दलालो के चंगुल से कब ही निजात मिल जाती।

एक भुग्तभोगी मरीज ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमीशन खोरी और लापरवाही पर लगाम लगनी मुश्किल है। उसका कहना है कि इसकी शिकायत करने पर डॉक्टर मरीज को ढ़ंग से नहीं देखते और कहीं और इलाज कराने की धमकी तक दे डालते हैं। डॉक्टर केवल इन्हीं मेडिकल स्टोर से दवाई लेने को कहते है। यदि ये दवाईयां कहीं और से लेने की कोशिश की जाती है तो अक्सर ये दवाईयां अन्य जगहां पर बड़ी मुश्किल से मिलती है।  

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जिले में नवागत जिलाधिकारी अमरनाथ उपाध्याय ने जबसे कार्यभार संभाला तब से ताबडतोड़ छापेमारी से अधिकारियो में खलबली मच गई है। गेहूं क्रय केंद्र की छापेमारी के बाद से गांव में विकास कार्यो की समीक्षा को लेकर भ्रष्टाचारीयो की नीद उड़ी हुई है। लेकिन लगता है कि जिला अस्पताल में डीएम के तेवरों से बैखौफ है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते है की मरीजों को इलाज करने जिस कुर्सी पर डॉक्टर्स बिठाते हैं, मरीज की उसी कुर्सी के बगल में बाहरी मेडिकल दलाल भी बकायदा कुर्सी लगा के बैठे रहते है।

एक मरीज ने तो साफ-साफ बोल दिया की कमीशन के चक्कर में डॉक्टर ज्यादातर बाहरी दवा लिखते है और डॉक्टर समय से पहले ही ओपीडी से उठ जाते है या अस्पताल से चले जाते हैं ताकि दूर-दूर से आये मरीज बैरंग वापस लौट जायें और डाक्चरों के चक्कर काटते रहें।










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