यूपी सरकार ने किया गन्ना भुगतान की कीमतों में इजाफा

डीएन संवाददाता

गन्ना अनुसन्धान संस्थान में गन्ना एवं चीनी मिल विकास राज्यमंत्री सुरेश राणा ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान गन्ना किसानों को राहत पहुंचाने और उनकी गन्ना भुगतान की कीमतों मे बढोत्तरी करने की घोषणा की।

प्रेस कांफ्रेंस करते राज्यमंत्री सुरेश राणा
प्रेस कांफ्रेंस करते राज्यमंत्री सुरेश राणा


लखनऊ: गन्ना अनुसंधान संस्थान में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान गन्ना एंव चीनी मिल विकास मंत्री सुरेश राणा ने बताया कि सरकार ने गन्ना किसानों की माली हालत को सुधारने के इरादे से गन्ना भुगतान की कीमतों में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है। इससे प्रदेश के लाखों गन्ना किसानों को फायदा पहुंचेगा। 

 गन्ना ढुलाई कीमतें कम करने का फैसला 

सुरेश राणा ने बताया कि यूपी सरकार ने गन्ने की अच्छी प्रजाति की फसलों के लिए भुगतान मूल्य 315 रुपए प्रति क्विंंटल से बढ़ाकर 325 रुपए प्रति क्विंटल करने का फैसला किया है। सामान्य प्रजाति की गन्ना फसल के लिए भुगतान मूल्य 305 रूपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 315 रुपए प्रति क्विंटल किया गया है। कम गुणवत्ता की गन्ना फसल के लिए 300 रूपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 310 रूपए प्रति कुंतल करने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि गन्ने की परिवहन लागतों में भी अच्छी कमी की गई है। गन्ने की परिवहन लागत को कम करके 42 पैसे प्रति क्विंटल प्रति किलो मीटर और अधिकतम 8 रूपए 35 पैसे प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। 

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गन्ने की खेती का क्षेत्रफल बढ़ा

 गन्ना एवं चीनी मिल मंत्री ने बताया कि यूपी में गन्ने की खेती का क्षेत्रफल 20 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 23 लाख हेक्टेयर हो गया है। उन्होंने कहा कि यूपी में योगी सरकार बनने के बाद यह गन्ना किसानों के सरकार पर विश्वास का ही परिणाम है कि गन्ना उत्पादन का क्षेत्रफल बढ पाया है। उन्होंने कहा कि सरकार गन्ना किसानों के हित में लगातार आगे भी फैसले लेती रहेगी। जिससे उनको अधिक से अधिक लाभ पहुंचाया जा सके। 

बंद चीनी मिलों को चालू करवाएगी सरकार 

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राणा ने बताया कि बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर से चालू कराना सरकार की प्राथमिकता है। जिसे हर हाल में पूरा किया जाएगा। उन्होंने पिछली सरकारों पर चीनी मिलों को कौड़ियों के दाम बेच देने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा की गन्ना किसानों को उनकी फसल का जल्द भुगतान हो सके, इसके लिए भी सरकार ने इंतजाम किए हैं। फसल बेचने के बाद भुगतान को लेकर किसानों को चीनी मिलों के चक्कर न काटने पड़े, इसके लिए सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं।
 










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