Cycling: मिलिये 17 वर्ष की उम्र में वर्ल्ड रिकार्ड बनाने वाले शिवम पटेल से

डीएन संवाददाता

महराजगंज जनपद के एक छोटे से गांव के एक युवक ने मात्र 17 वर्ष की आयु में ही साइकिलिंग यात्रा कर वर्ल्ड रिकार्ड बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया है। इसने साइकिल से यात्रा कर जनपद का नाम गौरान्वित कर दिया है। पढें डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

शिवम बने वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर
शिवम बने वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर


महराजगंजः जनपद के चौक थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्रामसभा करौता के एक युवा ने मात्र 17 वर्ष की उम्र में वर्ल्ड रिकार्ड बनाने का अनोखा कीर्तिमान (Record) स्थापित किया है। वर्ल्ड रिकार्ड होल्डर बने शिवम पटेल (फ्लाई शिवा) ने जनपद के साथ ही माता-पिता व गुरुओं का नाम भी रोशन कर दिया है। इस साइकिलिंग यात्रा के दौरान आने वाली चुनौतियों को शिवम ने डाइनामाइट न्यूज संवाददाता से साझा किया। 

यहां-यहां की यात्राएं 
शिवम बताते हैं कि 01 नवंबर 2022 को मैंने गुरु गोरक्षनाथ की पावन धरती गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर (Temple) से साइकिल यात्रा प्रारंभ की। साइकिल से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब होते हुए शिवम जम्मू कश्मीर पहुंचे। यहां से पुनः यात्रा शुरु कर यह लद्दाख, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात पहुंचे। इसके बाद दमनद्वीप, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उडीसा, छत्तीसगढ, झारखंड, वेस्ट बंगाल, सिक्किम, आसाम, बिहार, पांडिचेरी होते हुए यह महराजगंज अपने पैतृक स्थान पहुंचे। 

 

नेपाल में मिली ये उपाधि
शिवम ने बताया कि एमटीवी साइकिलिंग पहाड़ पर लगभग चार फिट फ़्लाइंग की थी। जिस पर मुझे पैर में चोट भी आ गई थी। तबसे मेरे नाम के साथ फ्लाई शिवा जुड़ गया। 

जंगल में मिले शेर, भालू
शिवम ने अपने साइकिल यात्रा के दौरान आने वाली चुनौतियों को डाइनामाइट न्यूज संवाददाता से साझा करते हुए बताया कि एक बार मुझे जंगल में भालू और शेर का सामना भी करना पड़ा। हालांकि उन्होंने मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। 

भाई हाॅकी में चैंपियन
शिवम दो भाईयों में सबसे बडे हैं। इनके छोटे भाई शुभम हाॅकी में मंडल स्तर तक अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं। 

पिता हैं रोजगार सेवक
शिवम के पिता रामअशीष पटेल ग्राम पंचायत करौता में रोजगार सेवक हैं। इनका कहना है कि शुरू में मुझे इस कार्य में काफी रिस्क दिखाई दे रहा था लेकिन जब यह एक साल बाद वापस आया तब सांस में सांस आई। 

इन्हें दिया श्रेय
शिवम अपनी इस सफलता का श्रेय स्कूल के शिक्षकों को देते हैं। उनका कहना है कि शुरुआत में घर वाले इसके लिए तैयार नहीं थे। इसमें काफी जोखिम भी था। इस सफलता से आज परिवाल वाले भी काफी खुश हैं। युवाओं को सफलता के टिप्स देते हुए शिवम ने कहा कि यदि अटूट इरादें हो तो कोई कार्य असंभव नहीं होता। बस जरूरत है उस सपने को पूरी निष्ठा से पूरा करने की। 










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