किसकी शह पर घूम रहे थे फर्जी प्रेस लिख चारों रंगबाज? गिरफ्तारी के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म

डीजीपी से लेकर सीएम तक का सख्त फरमान है कि प्रेस के नाम पर दलाली, वसूली करने वालों पर सख्त शिकंजा कसा जाय। जो भी दलाल अपने को पत्रकार बता गाड़ियों पर अवैध तरीके से प्रेस लिख घूम रहा हो, उसे कड़ा सबक सिखाया जाय लेकिन बड़ा सवाल यह है कि महराजगंज जिले में इसका कितना पालन हो रहा है। इसी की पड़ताल करती डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 24 April 2020, 7:34 PM IST
google-preferred

महराजगंज: घुघुली थाने की पुलिस ने जबसे चार रंगबाजों को फर्जी तरीके से धोखाधड़ी कर अपनी कार पर प्रेस लिखवाकर घूमने के मामले में जेल भेजा है तबसे जिले भर में चर्चाओं और अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है। सभी यह जानना चाहते हैं कि आखिर इन चारों को किसका संरक्षण प्राप्त था?

यह भी पढ़ें: महराजगंज में फर्जी प्रेस लिखे गाड़ियों की बाढ़, कार सीज, चार रंगबाज गिरफ्तार, मचा कोहराम

किसकी शहर पर इनकी इतनी हिमाकत हुई? बार-बार खबर आती है कि भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बेहद संवेदनशील जिले महराजगंज में पत्रकारिता की आड़ में एक सफेदपोश गिरोह काम कर रहा है जो फर्जी तरीके से पत्रकार संगठन के नाम पर बिना वैध मीडिया संस्था से जुड़े लोगों को पत्रकार होने का तमगा थमा रहा है। जिले में पत्रकारों के नाम पर कई संगठन चलते हैं लेकिन एक संगठन के बारे में सबसे अधिक चर्चाएं हैं। 

जिले के कई प्रमुख पत्रकारों ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि इस एक संगठन में अधिकतर लोगों के पास पत्रकारिता की कोई डिग्री नहीं है और न ही किसी मेन स्ट्रीम के मीडिया संस्थान से जुड़े हैं फिर भी इस संगठन में संदिग्ध लोगों की आमद बड़ी तादात में है। इनमें कोटेदार, ठेकेदार से लेकर शराब के व्यापारी और कई राजनीतिक दलों के लोग तक शामिल हैं। कई तो ऐसे सदस्य बना डाले गये हैं जो कई-कई बार जेल की यात्रा कर चुके हैं। गुंडा एक्ट से लेकर जिला बदर तक हो चुके हैं। गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं।

ये सब अपनी सुविधा से कभी पत्रकार तो कभी कुर्ताधारी नेता तो कभी व्यापारी नेता और कभी ठेकेदार तो कभी समाजसेवी का रुप धर लेते हैं। जनता इनकी हकीकत से वाकिफ है लेकिन मजबूर होकर चुप है जिस दिन रंगदारी और उत्पीड़न की शिकार जनता ने उग्र रुप धरा तो किसी जिम्मेदार से जवाब देते नहीं बनेगा।

लोगों को सबसे अधिक खल रही है जिले के खुफिया तंत्र की रहस्यमयी चुप्पी की। जिले का एलआईयू महकमा पूरी तरह से हर बड़े मोर्चे पर फेल नज़र आता है। किसी मामले पर वारदात हो जाने के बाद भी सटीक सूचना नहीं होती। बड़ा सवाल यह है कि फर्जी प्रेसधारियों के कारनामों की जो चर्चाएं आम जनमानस की जबान पर है उससे आखिर एलआईयू क्यों बेखबर है? कब-कब और किस तरह की रिपोर्ट एलआईयू ने उच्च स्तर पर भेजी है या महज खानापूर्ति की है, जनहित में इसकी जांच बेहद जरुरी है। 

देखना दिलचस्प होगा जिले के बड़े अफसर इस अत्यंत गंभीर रोग को दूर करने के लिए क्या ठोस कदम उठाते हैं? 
 

No related posts found.