उत्तराखंड: चमोली में एसटीपी प्लांट में बिजली का करंट दौड़ा, 16 की मौत

डीएन ब्यूरो

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक जल मल शोधन संयंत्र (एसटीपी) में बिजली का करंट फैल जाने से 16 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी जबकि 10 अन्य झुलस गए जिनमें से छह की हालत गंभीर बनी हुई है।

मौत (फाइल)
मौत (फाइल)


गोपेश्वर: उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित एक जल मल शोधन संयंत्र (एसटीपी) में बिजली का करंट फैल जाने से 16 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी जबकि 10 अन्य झुलस गए जिनमें से छह की हालत गंभीर बनी हुई है।

अलकनंदा नदी के किनारे नमामि गंगे परियोजना के तहत स्थापित एसटीपी में करंट फैलने से हुए दर्दनाक हादसे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गहरा दुख व्यक्त किया है।

चमोली से हवाई एम्बुलेंस से एम्स ऋषिकेश लाए गए घायलों को देखने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अस्पताल के ट्रामा सेंटर पहुंचे और चिकित्सकों से उनके उपचार में कोई कमी नहीं रखने को कहा।

चमोली के पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र डोबाल ने बताया कि मंगलवार की रात करंट फैलने से एक व्यक्ति की मृत्यु हुई थी। उन्होंने बताया कि मृतक के पंचनामे के दौरान बुधवार को फिर एसटीपी प्लांट की रेलिंग में करंट दौड़ा और मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों समेत मृतक के कुछ रिश्तेदार इसकी चपेट में आ गए।

उन्होंने बताया कि करंट इतना तेज था कि कई लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। डोबाल ने कहा कि बुधवार को 15 लोगों की मौत हुई है जिनमें पीपलकोटी पुलिस चौकी के प्रभारी पुलिस उपनिरीक्षक प्रदीप रावत और होमगार्ड के तीन जवान... मुकंदी राम, गोपाल और सोबत लाल शामिल हैं।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि घटनास्थल पर अचानक तेज आवाज के साथ स्पार्क हुआ और रेलिंग में करंट फैल गया।

मंगलवार की रात करंट लगने से एसटीपी के कर्मचारी हरमनी गांव निवासी गणेश (27) की मौत हो गई थी। वह एसटीपी में ही रहता था। उसकी मृत्यु की सूचना पाकर पुलिसकर्मी पंचनामा भरने मौके पर पहुंचे थे। इस दौरान उसके पिता महेंद्र लाल (27) और भाई दीपू कुमार (33) सहित हरमनी तथा निकटवर्ती रांगतोली गांव में रहने वाले उसके परिचित और रिश्तेदार भी वहां पहुंचे जो रेलिंग में दौड़े करंट की चपेट में आ गए। हादसे में महेंद्र लाल और दीपू की भी मौत हो गयी।

बिजली का करंट फैलने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है लेकिन उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन द्वारा यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रथमद्रष्टया फीडर का जंपर लगाने हेतु लिए गए शटडाउन को वापस लेने के बाद यह हादसा हुआ। हालांकि, विज्ञप्ति में कहा गया है कि जांच के बाद ही वास्तविक कारण स्प्ष्ट हो सकेगा।

ट्रांसफार्मर या फीडर में जंपर ट्रांसमिशन लाइन और आपूर्ति लाइन के बीच फ्यूज की भांति काम करता है। बिजली के वोल्टेज में अचानक कमी या बेशी होने पर वह जल जाता है और ट्रांसफार्मर/फीडर में बिजली की आपूर्ति बाधित हो जाती है।

धामी ने दुर्घटना की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया है और कहा कि हादसे के लिए दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने अपर जिलाधिकारी डॉ अभिषेक त्रिपाठी को जांच अधिकारी नामित करते हुए उन्हें एक सप्ताह के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। जिलाधिकारी ने त्रिपाठी को अपनी जांच में दुर्घटना के कारणों और भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचने और उन्हें रोकने के लिए उपाय व सुझावों को भी शामिल करने को कहा है।

घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री चमोली के लिए रवाना हो गये थे किन्तु मौसम खराब होने के कारण उन्हें लौटना पड़ा। उसके बाद, मुख्यमंत्री ने एम्स ऋषिकेश जाकर घायलों का हालचाल जाना।

मुख्यमंत्री ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए अधिकारियों को मृतकों के आश्रितों को 5-5 लाख रुपये और घायलों को 1-1 लाख रुपये की सहायता राशि अविलंब देने का निर्देश दिया है।

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने घटना को दुखद बताते हुए कहा कि इसमें पुलिस एक उपनिरीक्षक और तीन होमगार्ड जवानों की मृत्यु हुई है। उन्होंने दिवंगत आत्माओं की शांति की प्रार्थना करते हुए शोक-संतप्त परिवारों को दुख सहने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से कामना की।

उत्तराखंड के चमोली से हवाई एम्बुलेंस से एम्स ऋषिकेश लाए गए सभी घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है।

एम्स के वरिष्ठ ट्रॉमा सर्जन मधुर उनियाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि करंट से झुलसे मरीजों की स्थित बहुत अप्रत्याशित होती है।

उन्होंने बताया कि बिजली का करंट शरीर में प्रवेश करने से लेकर बाहर निकलने तक अनेक अंगों को नुकसान पहुंचाता है। डॉ. उनियाल ने बताया कि इसमें सबसे ज्यादा नुकसान गुर्दे और दिमाग़ को पहुंचता है और कई बार तो मरीज का पेशाब तक काले रंग का आता है। लिहाजा इस तरह के मरीजों के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।

ट्रॉमा सेंटर लाए गए घायलों के नाम हैं.... सुशील, संदीप, नरेंद्र, आनंद, रामचंद्र और महेश। ये लोग चमोली के निवासी हैं।

 










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