महराजगंजः सिसवा को तहसील बनाने की मांग को लेकर फिर उठा मुद्दा
सिसवा को तहसील बनाने की मांग को लेकर रविवार को सिसवा तहसील बनाओ संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजा। साथ ही मुद्दे को लेकर एक बैठक भी की गई। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर...
महराजगंजः सिसवा को तहसील बनाने की मांग को लेकर रविवार को सिसवा तहसील बनाओ संघर्ष समिति ने केनयूनियन प्रांगण में बैठक कर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया। 1871 की नगर पंचायत सिसवा को नगर पालिका परिषद घोषित किए जाने के बाद फिर से तहसील बनाने की जोड़ पकड़ने लगा है जिसे लेकर तहसील बनाओ संघर्ष समिति ने बैठक किया।
यह भी पढ़ें: श्यामदेउरवा और सोनौली के थानेदारों का हुआ तबादला, चौकी प्रभारी लेहड़ा भी हटे
सिसवा को नगरपालिका घोषित किए जाने पर स्थानीय विधायक और मुख्यमंत्री के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। तहसील बनाए जाने की मांग जो कि पिछले 7 सालों से यहां के युवाओं द्वारा एक संघर्ष समिति बनाकर की जाती रही है। इस क्रम में समिति द्धारा हस्ताक्षर अभियान मशाल जलूस खून से लिखे गए पोस्टकार्ड और धरना प्रदर्शन सहित अनेक मांगो से अनेक लोकतांत्रिक तरीकों से अपनी मांग को सरकार के समक्ष रखने का काम किया है।
यह भी पढ़ें |
महराजगंजः सिसवा विधायक ने विधानसभा में लगाई दहाड़, उठाए जनता की परेशानियों का मुद्दा
यह भी पढ़ेंः महराजगंज पहुंचे राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह, ये रही खास बात
संघर्ष समिति अध्यक्ष अमरेंद्र मल्य ने कहा कि सिसवा 147 वर्ष पुराना नगर पंचायत है। जबकि इसके बाद की ग्रामसभाएं तहसील और जिला तक बन चुके हैं। सिसवा को तहसील बनाने की मांग काफी दिनों से लम्बित है। साल 2010 में तत्कालीन बसपा सरकार ने गोरखपुर मंडल में नए तहसील के सृजन की रिपोर्ट तत्कालीन कमिश्नर के. रविंद्र नायक से मांगी थी। उसमें सिसवा को तहसील बनाए जाने की संस्तुति की गई थी। इसके बाद प्रदेश की सपा सरकार के समय सिसवा, कप्तानगंज व खड्डा को तहसील बनाने का प्रस्ताव सपा सरकार ने भेजा। इसमें खड्डा व कप्तानगंज को तो तहसील बना दिया गया।
यह भी पढ़ें |
Uttar Pradesh: जादूगर ने आंख पर पट्टी बांधकर किया ये अद्भुत काम, देख थमी सबकी सांसे
यह भी पढ़ें: CDO ने किया गौशाला का औचक निरीक्षण, मचा हड़कंप
लेकिन सिसवा आज भी उपेक्षित पड़ा हुआ है। इसी मुद्दे को लेकर विधान परिषद सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह ने सदन में मुद्दा उठाया था। इस पर स्पीकर ने कहा था कि सिसवा को तहसील बनाने हेतु शीघ्र एक कमेटी का गठन कर कमिश्नर स्तर से रिपोर्ट मंगाई जाएगी। लेकिन आज तक उसे अमली जामा नहीं पहनाया। वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यह आंदोलन उनका प्रतीकात्मक है। अगर तहसील नहीं बना तो आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी।
वहीं मनीष शर्मा ने कहा कि सिसवा के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से समृद्ध बाजार अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। नगर का विकास नहीं होने से युवा बेरोजगार हैं और बड़े शहरों को पलायन के लिए विवश हैं।