पुलिसकर्मियों के परिवारों ने निकाला मार्च
दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन करने वाले पुलिसकर्मियों के परिवार के सदस्यों ने उनके समर्थन में इंडिया गेट पर मोमबत्ती जलाई और फिर मार्च किया।
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस मुख्यालय पर प्रदर्शन करने वाले पुलिसकर्मियों के परिवार के सदस्यों ने उनके समर्थन में इंडिया गेट पर मोमबत्ती जलाई और फिर मार्च किया।
यह भी पढ़ें: कड़कड़डूमा के बाहर वकीलों ने की पुलिस की पिटाई
भारी तादाद में पुलिस कर्मियों ने लगभग 11 घंटे तक पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। विद्रोह जैसी यह स्थिति हाल ही में उनके सहकर्मियों पर हुए दो हमलों के बाद उपजी थी।
एक प्रदर्शनकारी की पत्नी ऋतु सिंह ने नम आंखों और रुंधे गले से कहा कि उनके पति अपने बच्चों के स्कूल में एक भी अभिभावक-शिक्षक बैठक में शामिल नहीं हुए।
यह भी पढ़ें |
Crime News: महिला ने पति की चाकू मारकर हत्या की, गिरफ्तार
उन्होंने कहा, ‘‘(दिल्ली के मुख्यमंत्री) अरविंद केजरीवाल अस्पताल में वकील को देखने गए थे। क्या उन्होंने कभी उन पुलिस कर्मियों के बारे में पता लगाने की कोशिश की, जिनकी पिटाई की गई थी? हम दिवाली, होली या कोई अन्य त्योहार एक साथ नहीं मनाते हैं और बदले में, हमें यह मिलता है?’’
यह भी पढ़ें: तीस हजारी झड़प में घायल वकीलों से मिले केजरीवाल
तीन साल पहले दिल्ली पुलिस से उपनिरीक्षक के पद से इस्तीफा देने वाले संदीप सिंह शाह (33) ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के परिवार के सदस्यों को मोमबत्ती जलाकर मार्च कराने का उनका विचार था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इसे शुरू किया और प्रदर्शनकारी पुलिस कर्मियों के परिवारों को इंडिया गेट पर मोमबत्ती जलाकर मार्च करने के लिए इकट्ठा होने को कहा। इंडिया गेट से हम प्रदर्शनकारियों के समर्थन में पुलिस मुख्यालय जाएंगे।’’
यह भी पढ़ें |
सीलमपुर हिंसा मामले में छह लोग गिरफ्तार
शाह ने कहा कि वकीलों के खिलाफ कई वीडियो क्लिप हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। केवल पुलिस कर्मियों को निलंबन के आदेश मिल रहे हैं। वकीलों के खिलाफ कुछ कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने कानून अपने हाथों में ले लिया।’’
यह भी पढ़ें: Delhi- वकीलों के खिलाफ पुलिस का प्रदर्शन
कक्षा नौवीं के छात्र ने कहा, ‘‘ मैंने कभी अपने पिता को हमारे साथ कोई त्योहार मनाते नहीं देखा। हर खास मौके पर, वह लोगों को सुरक्षा उपलब्ध करने के लिए ड्यूटी पर बाहर होते हैं। पुलिस कर्मियों के खिलाफ यह बर्बरता स्वीकार्य नहीं है। आज, यह मेरे पिता के सहकर्मी हैं। कल, मेरे पिता हो सकते हैं।’’ (भाषा)