सावन स्पेशल: ऐसा मंदिर जहां भगवान शिव करते हैं भक्तों की मुराद पूरी

डीएन संवाददाता

सावन के खास मौके पर इस मंदिर का दृश्य काफी अदभुत होता है। बताते हैं कि इस मंदिर में नाना राव पेशवा भी पूजा अर्चना करते थे। ये मंदिर 1857 की क्रांति से भी जुड़ा हुआ है।

स्वराजेश्वर मन्दिर कानपुर
स्वराजेश्वर मन्दिर कानपुर


कानपुर: यूपी के कानपुर में मस्करघाट पर बसा गंगा किनारे स्वराजेश्वर मन्दिर है। यह शिव मन्दिर अंग्रेजों के जमाने से पहले का मंदिर है। इस मंदिर में नाना राव पेशवा भी 1857 की क्रांति के दौरान पूजा करने आते थे। तीसरे सोमवार को सावन के खास मौके पर यहां भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। यहां के लोगों का कहना है कि जब देश आजाद हुआ था तब से इस मंदिर का नाम स्वराजेश्वर रखा गया था। इस मंदिर की मान्यता है की जो भक्त यहां आकर सच्चे मन से भगवन शंकर की 11 सोमवार पूजा करते है भगवन शंकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूरा करते है।

1857 की क्रांति से जुड़ा इतिहास

मस्करघाट पर गंगा किनारे बसा यह मन्दिर स्वराजेश्वर के नाम से पूरे देश में जाना जाता है। यहां का नज़ारा बहुत ही अदभुत है। भक्त यहां शिव जी की आराधना के साथ साथ गंगा में श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं। सावन के खास मौके पर यहां का दृश्य काफी अदभुत होता है। बताते हैं कि इस मंदिर में नाना राव पेशवा आकर पूजा अर्चना भी करते थे और ये मंदिर 1857 की क्रांति से भी जुड़ा हुआ है।

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1857 की लड़ाई में नाना राव पेशवा जब यहाँ से इलाहाबाद नाव द्वारा जा रहे थे तभी अचानक अंग्रेजो ने क्रांतिकारियों पर हमला बोल दिया था। उसके बाद यहाँ पर जमकर दोनों लोगो के बीच जमकर मारपीट शुरू हो गई। उस दौरान पूरी गंगा जी खून से लाल हो गई थी। इस लड़ाई में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजो को नेस्त से नाबूद कर दिया था। वही अंग्रेजो को यहाँ से भागना पड़ा था। जबकि इस लड़ाई में नाना साहब की बेटी मैना बाई ने करीब दो सौ महिलाओ को अंग्रेजो से बचाया भी था जिसके बाद  अंग्रेजो ने नाना साहब की बेटी को यही पर जिन्दा जला दिया था।

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शंकरानंद नाथ शास्त्री जी ने बताया की वो इस स्थान पर 1947 को आये थे तब ये मंदिर खण्डहर हुआ करता था। 1857 की लड़ाई में अंग्रेजो ने यहाँ पर तोपो से हमला किया था जबकि पहले मंदिर में नाना राव पेशवा यहाँ कर भगवन शंकर की पूजा करते थे। देश की आजादी के बाद से मंदिर का नाम स्वराजेश्वर रखा गया। उसके बाद फिर से मंदिर का निर्माण कराया गया था। इस मंदिर की ये मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से 11 सोमवार को यहां पूजा करने आता है भोले नाथ उस भक्त की सभी मनोकामनाएं जरूर पूरा करते है।

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