Shardiya Navratri: नवरात्र के नौवें दिन इस तरह करें मां सिद्धिदात्री की पूजा,जानिये पूजा का विधि-विधान और मंत्र

डीएन ब्यूरो

माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये मां सिद्धिदात्री के पूजा-अर्चना की विधि और माता के इस रूप के बारे में

मां दुर्गा के नवम् स्वरूप मां सिद्धिदात्री
मां दुर्गा के नवम् स्वरूप मां सिद्धिदात्री


नई दिल्ली: माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। इसलिये मां दुर्गा को मां सिद्धिदात्री भी कहते हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन माँ दुर्गा की उपासना की जाती है।

डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में जानिये माँ दुर्गा और उनकी पूजा-उपासना के बारे में

भक्तों की मनोकामनाएं करती हैं पूरी

मां सिद्धिदात्री भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और भक्तों को यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं। वह अपने भक्तों को बुद्धि का आशीर्वाद देती हैं और उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करती हैं।

अलौकिक शक्ति और पुरस्कार

सिद्धि शब्द का अर्थ है अलौकिक शक्ति और धात्री का अर्थ है पुरस्कार देने वाला। इसलिए, यह माना जाता है कि माँ सिद्धिदात्री सभी दिव्य आकांक्षाओं को पूरा करती हैं । मां सिद्धिदात्री को सिद्धि प्रदान करने वाली देवी माना जाता है।

कमल पुष्प पर आसीन

सामान्य रूप से मां सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर आसीन होती हैं, हालांकि इनका भी वाहन सिंह है। मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं। इनकी दाहिनी ओर की पहली भुजा मेंं गदा और दूसरी भुजा में चक्र है। बांई ओर की भुजाओं में कमल और शंख है।

मां अणिमा, महिमा, प्राकाम्य गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, ईशित्व और वशित्व अष्ट सिद्धि का संपूर्ण स्वरूपा हैं। 

मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि 

घी का दीपक जलाने के साथ-साथ मां सिद्धिदात्री को कमल का फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा जो भी फल या भोजन मां को अर्पित करें वो लाल वस्त्र में लपेट कर दें। निर्धनों को भोजन कराने के बाद ही खुद खाएं। नवमी तिथि पर साधारणतया माता दुर्गा का पूजन, अर्चन, हवन किया जाता है।

दुर्गा नवमी पर भक्त मां सिद्धिदात्री को नारियल, खीर, पुआ और पंचामृत का भोग लगाते हैं।  इस दिन भक्त कन्या भोज या कन्या पूजा भी करते हैं और देवी को प्रसाद के रूप में पूरी, हलवा चढ़ाते हैं। 


मां सिद्धिदात्री का मंत्र 

1  ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

2   'कर्पूरब जो आवगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

3    'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' 

4   या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

 

मां सिद्धिदात्री का मंदिर 

देवी सिद्धिदात्री माता के मंदिर वाराणसी, देवपहाड़ी (छत्तीसगढ़), सतना और सागर (मध्य प्रदेश) में स्थित हैं।










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