

नवरात्रि पर मिट्टी के पात्र में जौ को उगाने और कलश स्थापना के पीछे जुड़ी मान्यता के बारे में दुर्गा मां के भक्त हैरान रह जायेंगे। डाइनामाइट न्यूज़ की इस विशेष रिपोर्ट में पढ़ें, कलश स्थापना और जौ को उगाने से किस प्रकार मां भक्तों पर बरसाती है कृपा, घर में कैसे होता है चमत्कार
नई दिल्लीः शारदीय नवरात्रि चल रहे हैं एक तरफ जहां दुर्गा मां के पंडालों में भक्तों की भीड़ मां के आशीर्वाद के लिए जुट रही हैं वहीं मां दुर्गा के भक्त अपने-अपने घर में व्रत रख व मां की प्रतिमा को स्थापित कर सुबह-शाम पूजा अर्चना कर रहे हैं। दुर्गा मां की पूजा के लिए बाजारों में चुन्नी, मिट्टी के बर्तन, प्रसाद में चढ़ने वाला सामान और पूजा के जुड़ी हर वो चीज मौजूद है जो मां की पूजा के लिए जरूरी है।
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नवरात्रि पर एक चीज जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वह हर बार नवरात्रि में मां के भक्तों के लिए अति फलदायी होता है। जी हां हम बात कर रहे हैं कलश स्थापना की। यहां पर यह बताना जरूरी है कि मां दुर्गा की पूजा व नवरात्रि पर कलश स्थापना के पीछे कौन सी पौराणिक मान्यता जुड़ी है, जिसे हम सदियों से निभाते हुए आ रहे हैं। वहीं कलश स्थापना के साथ मिट्टी के बर्तन में जौ उगाने से नवरात्रि होते हैं सफल और मां ऐसे बरसाती है भक्तों पर कृपा।
डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़ें, नवरात्रि पर इसलिए की जाती है कलश स्थापना और बोए जाते हैं जौः
कलश की इसलिए की जाती है स्थापना
1.पौराणिक मान्यताओं के धार्मिक कार्यों में कलश का बड़ा महत्व है। कलश स्थापना सिर्फ नवरात्रि में ही नहीं बल्कि मांगलिक कार्यों के शुभारंभ, नववर्ष आरंभ, गृहप्रवेश, नया व्यापार, दिवाली पूजन, यज्ञ-अनुष्ठान आदि अवसरों पर भी कलश की स्थापना की जाती है।
2.कलश स्थापना को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना जाता है। देवी पुराण के अनुसार मां भगवती की पूजा-अर्चना के समय सबसे पहले कलश की स्थापना की जाती है।
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3.कलश के मुख में भगवान विष्णु का निवास, कंठ में रुद्र और मूल में ब्रह्मा स्थित हैं, कलश के मध्य में देवीय मातृशक्तियां निवास करती है।
4.कलश को विश्व ब्रह्मांड, विराट ब्रह्मा और भू-पिंड यानी ग्लोब का भी प्रतीक माना गया है। कहा जाता है कि कलश में सम्पूर्ण देवाता समाये हुए हैं। इसलिए जब भी कोई धार्मिक कार्य होते हैं तो कलश को देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक मानकर इसे स्थापित किया जाता है।
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इसलिए नवरात्रि पर मिट्टी के बर्तन में बोए जाते हैं जौ
1.नवरात्र में कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में बोया जाता है और इसका पूजन भी किया जाता है। इसके पीछे भी एक विशेष आस्था व पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है।
2.नवरात्रि में जौ बोने के पीछे मान्यता है कि सृष्टि की शुरुआत में सबसे पहली फसल जौ की ही थी। जौ को पूर्ण फसल भी कहा जाता है और अन्न को ब्रह्म माना गया है इसलिए जौ को नवरात्रि पर बोया जाता है।
3.नवरात्रि में जौ बोने को लेकर यह भी कहा जाता है कि जौ का तेजी से बढ़ना घर में सुख-समृद्धि का प्रतीक माना गया है। अगर नवरात्रि के नौ दिनों में जौ घनी नहीं उगी तो यह अशुभ माना जाता है।
4.जौ अगर सफेद रंग की और सीधे उगे तो इसे शुभ माना जाता है। अगर जौ काले रंग के टेढ़े-मेढ़े उगती है तो यह शुभ नहीं माना जाता। अगर यह नीचे से पीली और ऊपर से हरी हो तो माना जाता है कि वर्ष की शुरुआत खराब हो सकती है।
(नवरात्रि विशेष कॉलम में डाइनामाइट न्यूज़ आपके लिए ला रहा है हर दिन नयी खबर.. मां दुर्गा से जुड़ी खबरों के लिए इस लिंक को क्लिक करें: https://hindi.dynamitenews.com/tag/Navratri-Special )
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