Rishi Panchami Vrat Katha: खास है ये व्रत कथा, हर पाप से मिलेगी मुक्ति

डीएन ब्यूरो

आज ऋषि पंचमी का पावन पर्व मनाया जा रहा है। माना जाता है कि ऋषि पंचमी व्रत कथा से हर पाप से मुक्ति मिलती है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की ये रिपोर्ट।

ऋषि पंचमी व्रत कथा
ऋषि पंचमी व्रत कथा


नई दिल्ली: ऋषि पंचमी (Rishi Panchami) का पावन पर्व इस साल 8 सितंबर को मनाया जा रहा है। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। इस दिन व्रत (Fast) रखने वाली महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करती हैं। साथ ही जाने अनजाने में हुए पापों की मुक्ति की कामना करती हैं। व्रत रखने वाली महिलाओं के लिए ऋषि पंचमी की कथा पढ़ना अनिवार्य माना गया है। 

ऋषि पंचमी व्रत कथा 
ऋषि पंचमी की पौराणिक कथा अनुसार विदर्भ देश में उत्तंक नामक के एक सदाचारी ब्राह्मण देव रहते थे। उनकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिनका नाम सुशीला था। उस ब्राह्मण का एक पुत्र और एक पुत्री थी। कुछ समय बाद उन्होंने अपनी कन्या का विवाह कर दिया, लेकिन कुछ दिनों बाद वह कन्या विधवा हो गई। दुःखी ब्राह्मण दम्पति अपनी कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।

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शरीर में पड़े कीड़े
एक दिन जब ब्राह्मण कन्या सो रही थी तो अचानक से उसका शरीर (Body) कीड़ों से भर गया। मां को पता चला तो उन्होंने अपने पति से सब कहते हुए पूछा कि मेरी साध्वी कन्या की ये स्थिति होने का क्या कारण है? उत्तंक जी ने उस समय समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया कि पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी ही थी। इसने माहमारी होते हुए भी बर्तन छू दिए थे। इस पाप से मुक्ति के लिए उसने उस समय के साथ इस जन्म में भी कोई उपाय नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं।

अटल सौभाग्य की प्राप्ति
धर्म-शास्त्रों अनुसार रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र (Impure) होती है। वह चौथे दिन स्नान कर ही शुद्ध होती है, लेकिन अगर कन्या शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का विधि विधान व्रत करे तो इसके सारे दुःख दूर हो जाएंगे। पिता की आज्ञा से पुत्री ने ऋषि पंचमी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो गए और अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य की प्राप्ति हुई।

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