Crime in Bihar: सीनियर IAS अधिकारी और पूर्व MLA के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज, जानिये पूरा केस
पुलिस ने अदालत के आदेश के बाद मंगलवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ एक महिला से कथित तौर पर बलात्कार करने और जान से मारने की धमकी देने के संबंध में मामला दर्ज किया है।
पटना: पटना पुलिस ने अदालत के आदेश के बाद मंगलवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी संजीव हंस और पूर्व विधायक गुलाब यादव के खिलाफ एक महिला से कथित तौर पर बलात्कार करने और जान से मारने की धमकी देने के संबंध में मामला दर्ज किया है।
दानापुर के अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम) ने शनिवार को दोनों के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। पटना महिला थाने में दोनों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने में विफल रहने के बाद नवंबर 2021 में पीड़िता द्वारा दायर याचिका के आलोक में अदालत का यह आदेश आया।
हंस वर्तमान में बिहार के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव हैं जबकि यादव 2015 और 2020 के बीच झंझारपुर विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक थे।
पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मानवजीत सिंह ढिल्लों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि दोनों आरोपियों (हंस और यादव) के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। इन धाराओं में 376, 376-डी और 420 शामिल हैं। साथ ही पूर्व लोकसेवक के एक सहायक व दोनों आरोपियों के खिलाफ धमकी देने से संबंधित एवं सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराएं भी लगाई गई हैं। दानापुर के रूपसपुर थाना में मामला दर्ज किया गया है।
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ढिल्लों ने कहा कि पुलिस मामले से संबंधित सभी सबूतों की जांच करेगी और आगे की कार्रवाई तय करेगी। अदालत के समक्ष दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयानों के अलावा, पुलिस तीनों आरोपियों के साथ-साथ अन्य संबंधित व्यक्तियों के बयान भी दर्ज करेगी।
महिला ने यह याचिका वर्ष 2021 में दायर की थी जिसके बाद अदालत ने पटना पुलिस से मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट मांगी थी। एसीजेएम ने इससे पहले 2022 में याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि पीड़िता सुनवाई के लिए दी गई तारीखों पर अदालत नहीं आई। हालांकि महिला ने कुछ महीने पहले पटना उच्च न्यायालय का रुख किया।
पटना उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को पीडिता की याचिका पर सुनवाई करने का निर्देश इस आधार पर दिया कि उसने 14 जून 2022 को निचली अदालत में अपना बयान दिया था और वह केवल 20 सितंबर 2022 को सुनवाई में उपस्थित नहीं हुई थी।
पीड़िता ने अपनी याचिका में कहा है कि वह फरवरी 2016 में पटना के गर्दनीबाग मोहल्ले में रहने वाले एक वरिष्ठ अधिवक्ता से मिलने गई थी और वहां यादव के संपर्क में आई थी। यादव उस समय विधायक थे। याचिकाकर्ता के मुताबिक यादव ने महिला से कहा था कि वह उसे राज्य महिला आयोग का सदस्य बनाएंगे और उसे ‘सीवी’ लेकर अपने आवास पर आने के लिए कहा।
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याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि वह यादव से मिलने गई और उन्होंने उससे बलात्कार करने की कोशिश की। शिकायत के मुताबिक जब पीडिता ने इसका विरोध किया तो यादव ने हथियार के बल पर उससे दुष्कर्म किया। याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने जा रही थी लेकिन उन्होंने उसके सिर पर सिंदूर लगाया और कहा कि ‘अब हम पति-पत्नी हैं।’
महिला ने अपनी याचिका में यह भी उल्लेख किया कि यादव ने उसे 2017 में बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी को तलाक दे दिया है और उसे पुणे में मिलने के लिए बुलाया। महिला 8 जुलाई 2017 को पुणे गई और एक होटल में रुकी जहां यादव ने उसे हंस से मिलवाया।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि दोनों ने भोजन के दौरान उसे नशीला पदार्थ दिया और उससे सामूहिक दुष्कर्म किया। महिला के अनुसार आरोपियों ने इस हरकत का वीडियो भी बना लिया और उसे ब्लैकमेल करने लगे तथा उससे अक्सर दुष्कर्म करने लगे। याचिकाकर्ता ने कहा कि गर्भवती हो गई और दोनों आरोपियों ने कथित तौर पर उसका गर्भपात कराने के लिए मजबूर किया। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह फिर से गर्भवती हुई और 25 अक्टूबर 2018 को उसने एक बच्चे को जन्म दिया।
महिला के आरोपों के संबंध में कई बार प्रयास किए जाने के बावजूद हंस से संपर्क नहीं हो पाया।