भाजपा नेताओं का कद चाहे जितना बड़ा हो, जिम्मेदारी बदलती रहती है
राज्यसभा सदस्य और उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्रियों की हालिया नियुक्ति पर कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक कैडर आधारित पार्टी है और यह छोटे या बड़े कार्यकर्ताओं के बीच अंतर नहीं करती। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नोएडा: राज्यसभा सदस्य और उत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्रियों की हालिया नियुक्ति पर कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) एक कैडर आधारित पार्टी है और यह छोटे या बड़े कार्यकर्ताओं के बीच अंतर नहीं करती।
शर्मा ने कहा कि जिम्मेदारियों में बदलाव भाजपा का अभिन्न अंग है और पार्टी कार्यकर्ता ऐसे बदलावों से गुजरते हैं भले ही उनका कद कुछ भी हो।
भाजपा नेता ने कहा कि वह 2017 से 2022 तक उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री थे, लेकिन जब उनकी भूमिका बदली तो वह “अगले ही दिन बिना किसी हिचकिचाहट के” एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में मैदान में उतर गए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शर्मा ने कहा, ‘‘भाजपा में छोटे-बड़े पार्टी कार्यकर्ताओं के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है। उनके साथ समान व्यवहार किया जाता है और किसी भी कार्यकर्ता को मौका मिल सकता है। यहं तक दिग्गज भी जिम्मेदारियां बदलने पर नहीं हिचकिचाते।’’
हालिया विधानसभा चुनावों में जीत के बाद एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए भाजपा ने मोहन यादव, भजन लाल शर्मा और विष्णु देव साय को क्रमशः मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के रूप में चुना।
ऐसा करते हुए, भाजपा ने मध्य प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर को भी नाकाम करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पद से हटा दिया, जबकि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कुछ अन्य मजबूत दावेदार भी यह पद हासिल नहीं कर पाए।
शर्मा ने कहा, ‘‘ केवल कांग्रेस जैसी भाई-भतीजावाद करने वाली पार्टियां ही हैरान होती हैं जब आम पार्टी कार्यकर्ताओं के नामों की घोषणा मुख्यमंत्री के रूप में की जाती है। भाजपा एक राष्ट्रवादी और कैडर आधारित पार्टी है और इसमें प्रचार या भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ भाजपा पार्टी कार्यकर्ताओं की मेहनत और साहस से चलती है। चाहे लोकसभा प्रत्याशी हो, विधानसभा प्रत्याशी हो, मंत्री हो या मुख्यमंत्री, भाजपा में असली उम्मीदवार हमेशा ‘कमल’(पार्टी चुनाव चिह्न) ही होता है। और एक बार यह तय हो जाने के बाद पार्टी के सभी कार्यकर्ता इसे स्वीकार करते हैं।’’
शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का उदाहरण देते हुए कहा कि वह एक प्रचारक से संगठन कार्यकर्ता बने और अंततः भाजपा में शीर्ष पद तक पहुंचे।