DN Exclusives: UP के लाल का बड़ा कमाल, महराजगंज के 16 वर्षीय युवक ने बनाया हेलीकॉप्टर, हौसलों से उड़ान की तैयारी

डीएन संवाददाता

प्रतिभा कभी किसी की मोहताज नहीं होती। यही बात उत्तर प्रदेश के महराजंगज जनपद के 16 साल के युवक राजन पर भी सटीक बैठती है, जो एक मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से होने के बावजूद भी हौसलों के दम पर ऊंची उड़ान भरने की तैयारियों में जुटा है। घर और आसपास से ही कबाड़ व अन्य सामान जुटाकर हेलीकॉप्टर बना रहे राजन और उसके प्रोजेक्ट के बारे में जानिये डाइनामाइट न्यूज की इस स्पेशल रिपोर्ट में



महराजगंज: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद के निचलौल विकासखंड के बेलवा गांव का 16 वर्षीय राजन विश्वकर्मा भी सामान्य तौर उसके हम उम्र युवकों की तरह ही दिखता है। खेल-कूद, पढ़ाई-लिखाई और दिनचर्या में भी राजन अपने दोस्तों के जैसा ही है लेकिन फिर भी राजन की कुछ खूबियां उसे अन्य समान्य युवाओं से अलग कर देती है। वह है राजन की विलक्षणता, मजबूत हौसले, सुनहरे सपने और आसमान को छू लेने वाले उसके नेक इरादे। राजन की इन्ही खूबियों का नतीजा है कि वह ‘प्रोजेक्ट हेलकॉप्टर’ में जुटे हुए है और आर्थिक तंगियों के बावजूद भी मजबूत इरादों के बूते पर आसमान छूने की तैयारी कर रहा है।  

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डाइनामाइट न्यूज टीम जब 11वीं कक्षा में पढ़ने वाले राजन से मिलने और उसका ‘प्रोजेक्ट हेलकॉप्टर’ देखने-समझने के लिये उसके घर पहुंची तो वहां मौजूद गांव के लोगों को भी राजन के हुनर की तारीफ करते हुए पाया। राजन के गांव और उसके आसपास के क्षेत्र के लोग राजन द्वारा हेलीकॉप्टर बनाये जाने की जानकारी से हैरत में पड़े हुए है लेकिन उन्हें इस बात की भी खुशी है, उनके बीच का एक युवा अपनी माली हालत के बावजूद भी अपने मिशन पर डटा हुआ है। 

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राजन बोले- हेलीकॉप्टर उड़ाने के बाद ही लूंगी दम

डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में राजन ने बताया कि छोटे खिलौने वाले जहाजों को प्रेरित होकर ही उसने हेलीकॉप्टर बनाने का सपना देखा। राजन अपने सपने को सच करने में लगा हुआ है। कई उतार-चढ़ाव और दिक्कतों के बाद वह हेलीकॉप्टर बनाने का काम 70 से 80 प्रतिशत तक पूरा कर चुका है। इसे बनाने में वह कई तरह के साजो-सामान इकट्ठा कर चुका है। इसमें से कई चीजें तो ऐसी है, जिसे कबाड़ समझकर फैंक चुके थे लेकिन राजन ने उसका इस्तेमाल हैलीकॉप्टर बनाने में किया।

डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में राजन बताते हैं कि उनका हेलीकॉप्टर अगले एकाध माह में उड़ान के लिये तैयार हो जायेगा। जो कुछ काम बचा हुआ है, वह पैसे के अभाव के कारण रुका है। तंग आर्थिक स्थिति के बावजूद भी राजन को उम्मीद है कि उसके सपनों की उड़ान जल्द पूरी होगी और वह 70-80 फीसदी बन चुके हेलीकॉप्टर को उड़ाने में सफल होगा।

राजन की मां भी बेटे के काम से खुश

राजन की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी ज्यादा बेहतर नहीं है। वह एक लो-मिडिल फैमिली से हैं। उसके पिता एक छोटी-मोटी दुकान के साथ बिल्डिंग बनाने का काम करते है। उसी दुकान से परिवार का भरण-पोषण होता है और राजन के हेलीकॉप्टर के लिये खरीदे जाने वाले सामान का खर्चा भी दुकान से ही चलता है। सबसे बड़ी बात यह कि राजन के माता-पिता भी उसे इस काम में हर तरह से पूरा सहयोग देते हैं।
राजन को इलेक्ट्रॉनिक चीजें बनाने में रुचि रखता है। टीवी, पंखा और मोटर बनाकर जो भी पैसे कमाता है, उसे अपने सपनों के हेलीकॉप्टर को बनाने में खर्च कर देता है। लेकिन पैसों के अभाव में कई बार हेलीकॉप्टर बनाने का काम रुक जाता है। ऐसे में राजन कभी धैर्य नहीं छोड़ता।

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उड़ान के लिये हेलीकॉप्टर को तैयार करता राजन

ऐसा नहीं कि राजन हेलीकॉप्टर बनाने की इस यात्रा में कभी फेल न हुआ है। इससे पहले वह दो बार ऐसे प्रयास कर चुका है। यह उसका तीसरा प्रयास है। राजन का दावा है कि दूसरे प्रयास में बने उसके हेलीकॉप्टर ने उड़ान भी भरी थी लेकिन तकनीकि कारणों से वह क्षतिग्रस्त हो गया। उस हेलीकॉप्टर की खामियों से सीखकर ही वह अब तीसरे हेलीकॉप्टर को सफलता पूर्वक बना लेने का दावा करता है, जो अंतिम चरण में है।  

डाइनामाइट न्यूज से बातचीत में राजन कहता है कि यदि शासन-प्रशासन और क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से उसे कुछ आर्थिक सहयोग मिलता है तो वह अपने प्रोजेक्ट हेलीकॉप्टर को जल्दी और बेहतर तकनीक के साथ बना सकता है। राजन के तीसरे हेलीकॉप्टर ने भले ही अभी उड़ान न भरी हो लेकिन जिस लगन और हुनर के साथ वह इस घरेलू हेलीकॉप्टर के विकास में जुटा हुआ है, उससे साफ है कि वह दिन दूर नहीं, जब राजन की विलक्षणता का लौहा हर कोई मान लेगा।  










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