लखनऊ का चर्चित श्रवण साहू हत्याकांड: सीबीआई जांच में आईपीएस मंजिल सैनी दोषी लेकिन कार्यवाही के नाम पर भारी ढ़िलाई

मनोज टिबड़ेवाल आकाश

लखनऊ के व्यापारी श्रवण साहू हत्याकांड का मामला 2017 के विधानसभा चुनावों में चारों तरफ सुर्खियों में था। केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल तक ने इस मामले को लेकर लखनऊ में प्रदर्शन किया था। हत्या का आरोप कुख्यात अकील अंसारी गैंग पर है। इस हत्याकांड में सीबीआई अब एक नतीजे पर पहुंच चुकी है। हत्याकांड में सीबीआई ने लखनऊ की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी को दोषी पाया है लेकिन कार्यवाही के नाम पर सिर्फ विभागीय कार्यवाही की संस्तुति होना कई सवाल खड़े कर रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

मंजिल सैनी, आईपीएस (फाइल फोटो)
मंजिल सैनी, आईपीएस (फाइल फोटो)


लखनऊ: पुलिसिया लापरवाही से कैसे निर्दोषों की जान जाती है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है लखनऊ का व्यापारी श्रवण साहू हत्याकांड। एक फरवरी 2017 को लखनऊ (Lucknow) के दालमंडी इलाके में शाम करीब 7 बजे बाइक सवार बदमाशों ने तेल करोबारी श्रवण साहू (62) की गोलियों से भून मौत के घाट उतार दिया था।

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श्रवण अपने पुत्र आयुष की हत्या (Murder) के मामले की कचहरी में पैरवी कर रहा था और गवाही दे रहा था। इससे आयुष के हत्यारे नाराज रहते थे और केस की पैरवी करने से मना करते थे। श्रवण की हत्या से 17 महीने पहले उनके बेटे आयुष साहू की 16 अक्तूबर 2015 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। आरोप है कि ये हत्याएं लखनऊ के कुख्यात अकील अंसारी गैंग ने की। मंजिल सैनी के जमाने में पुलिसिया सरपरस्ती किस कदर अकील गैंग को थी इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हत्या से पहले अकील गैंग ने पुलिस से मिल श्रवण साहू को एक फर्जी पुलिस केस में भी फंसा दिया था।

व्यापारी श्रवण साहू की हत्या के बाद शव से बिलख-बिलख रोते परिजन (फाइल फोटो)

अकील गैंग लगातार श्रवण को धमका रहा था कि वह केस में गवाही न दे नही तो वह जान से हाथ धो बैठेगा। श्रवण साहू (Shrawan Sahu) ने जान बचाने की गुहार उस वक्त के हर बड़े अधिकारी के पास लगायी, तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी से जाकर मिला लेकिन न जाने किस दबाव में मंजिल सैनी ने श्रवण साहू को कोई सुरक्षा नहीं दी और न ही कुख्यात अकील अंसारी गैंग पर कोई प्रभावशाली कार्यवाही की। वह भी तब जब श्रवण साहू की हत्या के कुछ दिन पहले अकील गैंग ने पुलिसकर्मियों से मिल श्रवण को फर्जी मामले में जेल भेजने की साजिश रची थी।

क्यों नहीं दर्ज हो रही मंजिल सैनी के खिलाफ FIR

अब करीब पांच साल बाद इस हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई (CBI)ने पूर्व एसएसपी मंजिल सैनी को दोषी पाया है और इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की संस्तुति की है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या विभागीय कार्रवाई पर्याप्त है? क्यों मंजिल सैनी के खिलाफ लापरवाही बरतने के आरोप में FIR नहीं दर्ज की जा रही?

योगी सरकार ने किया साइड लाइन

मंजिल सैनी (Manzil Saini)वर्ष 2005 बैच की आईपीएस (IPS)अधिकारी हैं। वे 18 मई 2016 से 27 अप्रैल 2017 तक लखनऊ की एसएसपी रही थीं। योगी सरकार बनने के बाद उनको साइड लाइन कर दिया गया। उनको केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया गया। पहले वे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)में तैनात रहीं और अब एनएसजी (NSG)मुख्यालय में डीआईजी हैं।

भाजपा ने बनाया था बड़ा मुद्दा

उस वक्त के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था। केन्द्र सरकार में प्रभावशावी मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) जैसे हैवीवेट लखनऊ गये और पीड़ित के घर जाकर मुलाकात की थी। इस मामले पर भाजपा ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था।  

 










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