

कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड की जांच को लेकर गठित एसआईटी ने प्रशासन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें कई अधिकारियों का काला सच सामने आया है। डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में पढ़ें, इस रिपोर्ट के अहम तथ्य
लखनऊ: देश और दुनिया को हिलाकर रख देने वाले कानपुर के बहुचर्चित बिकरू कांड को लेकर गठित एसआईटी ने शासन को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। 3200 पन्नों की इस रिपोर्ट में यूपी पुलिस समेत जिला प्रशासन के कई अधिकारियों का काला सच और मिलीभगत सामने आयी है।
75 के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा
एसआईटी ने इस रिपोर्ट में 75 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है, जिसमें कई पुलिस और प्रशासन से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हैं।
शस्त्र लाइसेंस दिलाने में अधिकारी बने मददगार
अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (एसआइटी) ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों को शस्त्र लाइसेंस दिलाने समेत उनके काले कारनामों को छुपाने में कई अधिकारी मददगार रहे। स्थानीय पुलिस की भूमिका इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रही।
पुलिस-प्रशासन की खुली पोल
जानकारी के मुताबिक एसआईटी की 3200 पृष्ठों में मूल रिपोर्ट 700 पन्नों की है और इसमें 2500 पन्ने बतौर संलग्नक और साक्ष्य को तौर पर लगाए गए हैं। जिन 75 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है, उनमें 60 फीसदी पुलिस और 40 फीसदी प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी हैं।
प्रशासनिक सुधार की संस्तुति
एसआईटी जांच रिपोर्ट में दोषी पाए गए अधिकारियों व कर्मियों की भूमिका के अलावा करीब 36 संस्तुतियां शामिल हैं। इसके साथ ही एसआइटी ने प्रशासनिक सुधार से जुड़ी तीन संस्तुतियां भी इस रिपोर्ट में की हैं।